23 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम के बीच अमेरिका के साथ भारत का संभावित ट्रेड डील अधर में लटकता दिख रहा है. बीते दिनों ही ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को लंच पर आमंत्रित किया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि वह पाकिस्तान से बहुत प्यार करते हैं. साथ ही उन्होंने घोषणा की थी कि अमेरिका जल्द ही भारत और पाकिस्तान से साथ ट्रेड डील करने वाला है. इस बीच ऐसी रिपोर्ट आई है कि भारत के साथ अमेरिका का ट्रेड डील अधर में लटक सकता है. दरअसल, अमेरिका, भारत से अपने कृषि उत्पादों जैसे मक्का और सोयाबीन पर कम टैरिफ की मांग कर रहा है, साथ ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) खाद्य पदार्थों के आयात की अनुमति चाहता है. भारत ने इन मांगों का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि इससे देश के करोड़ों किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार का रुख स्पष्ट है. वह 140 करोड़ उपभोक्ताओं और लाखों किसानों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता दे रही है. अमेरिका की ओर से प्रस्तावित 10 फीसदी बेस टैरिफ सभी देशों पर लागू होगा. यह भारत को पर्याप्त नहीं लगता. भारत ने शुरू में कपड़ा, चमड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में शून्य टैरिफ की उम्मीद की थी, लेकिन अमेरिकी प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि ट्रंप प्रशासन तुरंत शून्य टैरिफ की पेशकश नहीं कर सकता. इसके अलावा भारत ने भविष्य में टैरिफ कार्रवाइयों से छूट की मांग की है, ताकि समझौते के बाद भी उसकी स्थिति सुरक्षित रहे.

भारत के लिए बेहद अहम मुद्दा

अमेरिका के लिए कृषि उत्पादों को शामिल किए बिना कोई समझौता स्वीकार्य नहीं है. लेकिन भारत के लिए यह मुद्दा संवेदनशील है. भारतीय किसान पहले ही कम उपज और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं. जीएम फसलों के आयात से न केवल स्थानीय किसानों को नुकसान होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर भी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जीएम उत्पादों की अनियंत्रित आपूर्ति से जैव विविधता को खतरा हो सकता है और उन देशों से निर्यात पर प्रतिबंध लग सकता है, जो जीएम खाद्य पदार्थों को स्वीकार नहीं करते.

इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे ने भी माहौल को और जटिल बना दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारत और पाकिस्तान के बीच विराम कराया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था. इस बयान ने दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को उजागर किया है, जिसका असर व्यापार वार्ताओं पर भी पड़ रहा है. भारत का मानना है कि वह किसी भी तरह के दबाव में झुककर ऐसा समझौता नहीं करेगा, जो उसके हितों के खिलाफ हो.

भारत की रणनीति

भारत की रणनीति अब पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास से भरी है. वह न केवल अमेरिका के साथ, बल्कि यूरोपीय संघ, आसियान और अफ्रीकी देशों के साथ भी व्यापार वार्ताएं कर रहा है. भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) जैसे समझौतों से बाहर रहकर यह साबित किया है कि वह केवल दिखावटी डील के लिए तैयार नहीं है. भारतीय प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि वे संतुलित समझौते की मांग कर रहे हैं, जिसमें भारत के निर्यात क्षेत्रों जैसे कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स को भी लाभ मिले.
अगर 9 जुलाई तक कोई समझौता नहीं होता है तो भारत को 26% अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. इससे मछली, मांस और प्रसंस्कृत समुद्री खाद्य जैसे क्षेत्रों को भारी नुकसान होगा. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह ट्रंप प्रशासन की एकतरफा मांगों के आगे नहीं झुकेगा. वह अपने किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि रखेगा, भले ही इसका मतलब कठिन रास्ता चुनना हो. यह रुख न केवल भारत की आर्थिक संप्रभुता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती ताकत को भी रेखांकित करता है.

सारांश:
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की अटकलों के बीच भारत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह ट्रंप की शर्तों पर नहीं चलेगा। भारत का कहना है कि वह किसी का पिछलग्गू नहीं बनेगा। ट्रंप के संभावित सहयोगी पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ बैठकों और भारत से कम टैरिफ की उम्मीदों को लेकर भी भारत ने सख्त रुख अपनाया है। यह बयान भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की दिशा में देखा जा रहा है।

Bharat Baani Bureau

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