नई दिल्ली 23 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . ईरान और इजराइल की लड़ाई अब उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा. वह भी सीधे तौर पर. ईरान ने इसकी खुली धमकी भी दे दी है और उसकी संसद ने इस पर एकमत होकर फैसला भी कर लिया है. अब सिर्फ ईरान की सर्वोच्च सुरक्षा परिषद को मुहर लगाना बाकी है, जो असल में अमानतुल्ला खामनेई के ही इशारों पर चलती है. ईरान ने कहा है कि जल्द ही देश की सुरक्षा परिषद होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने पर फैसला करेगी. इस खबर के बाद ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (Supreme National Security Council) क्या है, जिसके पास संसद से भी ज्यादा शक्तियां हैं.
ईरान ने अमेरिका के हालिया हमले के बाद पूरी दुनिया को यह चेतावनी दी है कि वह जल्द ही ओमान व ईरान के बीच स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा. यह एक संकरा समुद्री रास्ता है, जहां से दुनिया की 20 फीसदी तेल सप्लाई होती है. इसकी चौड़ाई महज 33 किलोमीटर है, जबकि जहाजों के गुजरने का रास्ता तो महज 3 किलोमीटर ही चौड़ा है. अगर ईरान ने इसे बंद कर दिया तो भारत सहित एशिया के तमाम देशों को तेल की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ेगा. अब सभी की निगाहें ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद पर टिकी है, जो इस पर अंतिम फैसला करेगी.
क्या है सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
ईरान ने इस संस्था या निगाह का गठन सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर निर्णय के लिए किया है. इसके लिए बाकायदा संविधान में बदलाव करके 1989 में गठन किया गया. इस परिषद को भले ही ईरान की संसद से ऊपर रखा गया है, लेकिन इसकी जवाबदेही सर्वोच्च नेता खामनेई के प्रति ही रहती है. यह परिषद सेना की रणनीति बनाने, परमाणु कार्यक्रम पर फैसला करने और विदेश नीति से जुड़े मामलों पर सुझाव देने का काम करती है. जाहिर है कि होर्मुज जलडमरूमध्य न सिर्फ ईरान की सैन्य रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह विदेश नीति को भी प्रभावित करती है. लिहाजा सर्वोच्च परिषद को इसमें दखल देने की जरूरत पड़ेगी.
परिषद में कौन-कौन शामिल
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुखिया देश का राष्ट्रपति ही होता है, जो परिषद के अध्यक्ष के रूप में काम करते हैं. इसमें सर्वोच्च नेता की ओर से नियुक्त किए गए प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इसके अलावा परिषद में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री भी शामिल होते हैं. ईरान की सेना यानी इस्लामिलक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर, न्यायपालिका के प्रमुख, संसद के स्पीकर, खुफिया मंत्रालय या संगठन के प्रमुख, सेना प्रमुख और अगर जरूरत हो तो परमाणु कार्यक्रम और विदेश नीति के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाता है.
कैसे होता है सदस्यों का चुनाव
यह परिषद सरकार की ओर से गठित की जाती है, लिहाजा इसमें आमजन की कोई भूमिका नहीं होती है. हां, इतना जरूर है कि परिषद के मुखिया का चुनाव जनता की ओर से किया जाता है, जो हर 4 साल में आम चुनाव के जरिये चुने जाते हैं. इसके अलावा बाकी सदस्यों को चुनाव उनके पद के हिसाब से खुद ही हो जाता है. जैसे विदेश मंत्री, संसद के स्पीकर, सेना प्रमुख, सैन्य कमांडर आदि को पद मिलते ही इसमें शामिल कर लिया जाता है.
सारांश:
ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (SNSC) देश की सबसे अहम नीति निर्धारण संस्था है, जो रणनीतिक फैसले लेती है। अगर अमेरिका-ईरान तनाव बढ़ता है, तो यह परिषद दुनिया की 20% तेल सप्लाई प्रभावित करने वाले होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला ले सकती है। इस परिषद में राष्ट्रपति, सेना प्रमुख और धार्मिक नेता जैसे बड़े पदाधिकारी शामिल होते हैं।