24 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा मामला उठाया गया। सूत्रों के मुताबिक, समिति के सदस्यों ने यह सवाल किया कि जब इस मामले में गंभीर आरोप लगे हैं, तो अब तक कोई एफआईआर क्यों दर्ज नहीं हुई है।
इसके साथ ही सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले वीरास्वामी केस की समीक्षा की जानी चाहिए। इस फैसले के तहत किसी भी सिटिंग जज के खिलाफ जांच या एफआईआर दर्ज करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति जरूरी होती है।
न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता बनाने का सुझाव
इसके अलावा समिति की ओर से बैठक में यह भी सुझाव आया कि न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता बनाई जाए, ताकि उनके व्यवहार और फैसलों में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, रिटायर होने के बाद जजों के लिए कुछ समय का कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने की बात भी कही गई, ताकि वे सीधे किसी सरकारी पद या राजनीतिक भूमिका में न जाएं। मामले में समिति ने इन सभी मुद्दों पर सरकार और न्यायपालिका से स्पष्टता और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
आग लगने से शुरु हुआ मामला
गौरतलब है कि यह मामला 14 मार्च की रात 11:35 बजे शुरू हुआ, जब दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित जज वर्मा के सरकारी आवास (30 तुगलक क्रेसेंट) में आग लग गई। दमकल कर्मियों और पुलिस ने आग बुझाई, लेकिन जब वे अंदर पहुंचे, तो वहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में ₹500 के नोट पड़े मिले। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे देखकर हैरानी जताई और कहा कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी नकदी एक साथ देखी।