03 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) भारत की कंपनियां अब छोटे कस्बों और गांवों पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं ताकि कारोबार की रफ्तार बनी रहे। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अमेरिका के 50% टैरिफ से झटका लगने का खतरा है।

बिस्किट बनाने वाली कंपनियों से लेकर बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर्स तक, सभी ने जून तिमाही के रिजल्ट में बताया कि गांवों और छोटे शहरों से अच्छी मांग मिल रही है। कम महंगाई और अच्छी फसल की उम्मीद से 90 करोड़ ग्रामीण उपभोक्ता खर्च करने के मूड में हैं। नीलसन IQ के अनुसार, पिछले छह क्वार्टर्स से ग्रामीण खपत शहरों की तुलना में ज्यादा रही है।

ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है, और यह अमेरिकी टैरिफ के असर से कुछ हद तक बची हुई है। पिडिलाइट इंडस्ट्रीज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुधांशु वत्स ने कहा कि कंपनियां अब गांवों से ज्यादा ग्रोथ देख रही हैं। जून तिमाही में भारत की जीडीपी एक साल से ज्यादा समय में सबसे तेज बढ़ी। निजी खपत (Private Consumption) 7% बढ़ी, जिसका बड़ा कारण ग्रामीण मांग और किसानों की मजदूरी में बढ़ोतरी रही।

टैरिफ से शहरों की इंडस्ट्री को खतरा

हालांकि, यह रफ्तार ज्यादा दिन तक रह पाएगी या नहीं, इस पर सवाल हैं। अगस्त से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% से बढ़ाकर 50% ड्यूटी लगा दी है। इसका सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल और ज्वेलरी जैसी इंडस्ट्री पर पड़ेगा, जो ज्यादातर बड़े शहरों के आसपास हैं।

सिटीग्रुप के डेटा के मुताबिक, ग्रामीण मजदूरी सात साल से ज्यादा समय में सबसे तेजी से बढ़ी है। ग्रामीण और शहरी खपत में भी अब फर्क कम हो गया है। ब्रिटानिया के एमडी वरुण बेरी ने कहा कि उनकी कंपनी ने इस तिमाही में अच्छी ग्रोथ देखी है और आगे भी वह गांवों पर फोकस कर कंपनी की रफ्तार बनाए रखेंगे। पिडिलाइट भी छोटे शहरों (12,000 से कम आबादी वाले) में नए डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रांडेड स्टोर्स और मोबाइल सपोर्ट वैन बढ़ा रही है।

सरकार और कंपनियों की तैयारी

भारत में खपत जीडीपी का आधा से ज्यादा हिस्सा है। गांवों में खर्च बढ़ने से शहरों जैसा ही बाजार खड़ा हो रहा है। पिछले महीने पीएम नरेंद्र मोदी ने टैक्स कटौती की घोषणा की थी ताकि अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सके। UBS सिक्योरिटीज की इकॉनमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन का मानना है कि यह कदम अगले दो-तीन क्वार्टर्स तक घरेलू खपत को और बढ़ाएगा।

रूरल-फोकस्ड कंपनियों के शेयर भी तेजी में हैं। आर्चियन फूड्स के को-फाउंडर निखिल डोडा ने कहा कि उनकी कंपनी को ग्रामीण बाजार से बड़ी मात्रा में सेल मिल रही है। उनकी कंपनी का 10 रुपये वाला ड्रिंक ‘लाहौरी जीरा’ गांवों में खूब बिक रहा है। यहां तक कि वे छोटे दुकानदारों को फ्रिज न होने पर खास इंसुलेटेड बॉक्स भी उपलब्ध कराते हैं। कंज्यूमर रिसर्च फर्म वर्ल्डपैनल (Numerator) के साउथ एशिया एमडी के. रामकृष्णन के मुताबिक, ग्रामीण उपभोक्ता अब नए प्रोडक्ट्स अपनाने को तैयार हैं और फिलहाल सभी परिस्थितियां ग्रामीण मांग को और मजबूत कर रही हैं।

Bharat Baani Bureau

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