04 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : सर्दियों में पुरानी हड्डियों की चोटों का दर्द फिर से उभरकर आना एक बहुत आम समस्या है, खासकर उन लोगों में जिन्होंने पहले हड्डी टूटने, मोच आने या जोड़ों की सर्जरी जैसी स्थितियों का सामना किया हो। दिल्ली में स्थित ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आशीष धवन बताते हैं कि जब तापमान गिरता है, तो शरीर की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ने लगती हैं, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। इस वजह से पुराने चोट वाले हिस्से में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो जाती है, और वहाँ के टिश्यू यानी ऊतक ठंडे और सख्त महसूस होने लगते हैं। परिणामस्वरूप, उस जगह पर दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या दोबारा महसूस हो सकती है।
दर्द के पीछे ये वजहें होती हैं ज़िम्मेदार:
जिन लोगों को पहले से गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस या कोई पुराना फ्रैक्चर हुआ हो, उन्हें ठंड में दर्द ज्यादा महसूस होता है क्योंकि जोड़ों की नसें तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं। इसके अलावा, कम शारीरिक गतिविधि और धूप की कमी से विटामिन D और कैल्शियम का स्तर भी घटने लगता है, जो हड्डियों की ताकत को प्रभावित करता है। यही वजह है कि सर्दियों में पुराने चोट वाले हिस्से अधिक दर्दनाक हो जाते हैं। इस दर्द का एक और कारण मांसपेशियों का संकुचन भी है। ठंड में शरीर अपने तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है, जिससे मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। अगर चोट पुरानी है, तो उस हिस्से के आसपास की मांसपेशियाँ पहले से ही कमजोर होती हैं और ठंड में ज्यादा सख्त हो जाती हैं, जिससे दर्द बढ़ जाता है।
डाइट करें बेहतर:
खानपान में थोड़े बदलाव से दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है। आहार में कैल्शियम, विटामिन D और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें जैसे दूध, दही, पनीर, बादाम, अखरोट, मछली, और धूप में बैठना बेहद फायदेमंद है। साथ ही, दर्द निवारक दवाओं या ऑयल मसाज का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, क्योंकि हर व्यक्ति की चोट और हड्डी की स्थिति अलग होती है।
क्या बरतें सावधानी?
- सर्दियों में पुराने चोट या फ्रैक्चर से प्रभावित हिस्से को हमेशा गर्म रखना चाहिए।
 - ठंडी हवा से बचाव के लिए गर्म कपड़े या वूलन बैंडेज का इस्तेमाल करें।
 - नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करें ताकि रक्त प्रवाह बना रहे और जोड़ों की गतिशीलता बनी रहे।
 - बहुत देर तक एक ही स्थिति में बैठे या लेटे रहने से बचें, क्योंकि इससे जकड़न बढ़ती है।
 - घरेलू उपायों में हल्की गर्म सिकाई बहुत फायदेमंद हो सकती है। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द में राहत मिलती है।
 - अगर दर्द लगातार बढ़ता जाए, सूजन आ जाए या चलने-फिरने में कठिनाई महसूस हो, तो जांच करवाना जरूरी है।
 - अगर हम इस समय अपने शरीर को गर्म रखें, नियमित रूप से चलें-फिरें और सही पोषण लें, तो इस परेशानी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
 
सारांश:
सर्दियों के मौसम में तापमान गिरने से पुरानी चोटों और जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंड के कारण रक्त संचार धीमा हो जाता है जिससे दर्द और जकड़न महसूस होती है। बचाव के लिए शरीर को गर्म रखना, हल्की एक्सरसाइज करना और संतुलित आहार लेना बेहद ज़रूरी है।
