इस्लामाबाद 11 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : पाकिस्तान वो देश है, जहां कभी भी सत्ता पूरी तरह से सरकर के हाथ में नहीं रही. यहं सेना की ताकत राजनीतिक सत्ता पर हमेशा हावी होती दिख रही है. हालांकि इस बार मामला कुछ अलग है क्योंकि सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने वह कदम उठा लिया है, जिससे वे न केवल पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए हैं, बल्कि देश के संविधान के ऊपर भी उनका नियंत्रण सुनिश्चित हो गया है.
इस वक्त पाकिस्तान में 27वां संविधान संशोधन सबसे ज्यादा चर्चा में है, जो कमांड ऑफ डिफेंस फोर्सेस यानि CDF नाम की नई सैन्य संरचना का रास्ता खोलता है. यह नया सिस्टम पाकिस्तान की तीनों सेनाओं – थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एक ही कमान के अधीन लाएगा, जिसका मुखिया होगा सिर्फ एक व्यक्ति- जनरल असीम मुनीर. अब आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान में बाकी सारे संवैधानिक पद दिखावे के होंगे, लेकिन चलेगी सिर्फ आसिम मुनीर की.
सेना ही होगी पाकिस्तान में सर्वेसर्वा
इस संशोधन के बाद पाकिस्तान में चेयरमैन, जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (CJCSC) की अब तक की सलाहकार वाली भूमिका पूरी तरह खत्म हो जाएगी. उसकी जगह CDF के पास सभी संयुक्त अभियानों, रणनीतिक योजनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा संचालन पर सीधा अधिकार होगा, तो किसी और की जरूरत ही नहीं बचेगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बदलाव पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था को पूरी तरह से केंद्रीकृत कर देगा, जिसमें अब प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की राय की भी जरूरत नहीं होगी.
पाकिस्तान में चलेगी मुनीर की तानाशाही
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि जनरल आसिम मुनीर की यह चाल पाकिस्तान की सत्ता व्यवस्था को एक व्यक्ति के अधीन कर देगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस संशोधन से सेना प्रमुख का कार्यकाल आजीवन हो जाएगा, यानि जब तक जनरल मुनीर जिंदा हैं, उन्हें हटाया नहीं जा सकेगा. कई जानकारों का यह भी मानना है कि इससे पाकिस्तान की नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों की भूमिका लगभग समाप्त हो जाएगी और सेना प्रमुख एकछत्र शासन चला सकेंगे, बिना किसी रोकटोक के. कुल मिलाकर पाकिस्तान में अब तक का जो ढांचा है, वो तहस-नहस हो जाएगा और सत्ता सिर्फ एक शख्स के इर्द-गिर्द सिमटकर रह जाएगी.
सत्ता संतुलन पर खतरा
पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषक बिलाल खान ने अपने ब्लॉग Quwa में लिखा है कि यह नया पद किसी संस्थागत ढांचे पर नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की इच्छा पर आधारित होगा. उनके मुताबिक अगर CDF का कोई स्थायी मुख्यालय या औपचारिक योजना तंत्र नहीं होगा, तो पूरा सिस्टम जनरल मुनीर की मनमर्जी से चलेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यह स्थिति पाकिस्तान की सैन्य संरचना में शक्ति-संतुलन के टूटने और आंतरिक असंतोष के बीज बो सकती है. इतना ही नहीं ये संशोधन न्यायपालिका पर भी अंकुश लगाता है और उसे सुप्रीम नहीं रहने देगा.
सरकार क्यों झुक गई मुनीर के आगे?
शहबाज शरीफ की सरकार इस कदम को आधुनिक और समन्वित रक्षा व्यवस्था की दिशा में सुधार बता रही है. उनका कहना है कि अमेरिका, कनाडा और नाटो देशों की तरह अब पाकिस्तान की सेनाएं एकीकृत कमांड के तहत संगठित हो जाएंगी. हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि ये सुधार नहीं, सत्ता हड़पने की वैधानिक कवायद है, जिससे पाकिस्तान में सैन्य शासन को स्थायी रूप से स्थापित किया जा रहा है. खुद शहबाज भी जानते हैं कि इस संशोधन के बाद पाकिस्तान में लोकतंत्र सिर्फ चेहरा होगा, जिसके हाथ में फैसले लेने का कोई अधिकार ही नहीं होगा. सत्ता किसी की भी हो, पाकिस्तान की असली शासक आसिम मुनीर होंगे.
