01 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग से क्षमादान की अपील करते हुए 111 पन्नों का दस्तावेज सौंपा. गेंद राष्ट्रपति के पाले में है, लेकिन इसे लेकर एक पेंच फंसा है और इसका ‘खुलासा’ नेतन्याहू के पूर्व वकील ने किया है. उन्होंने जो दावा किया है उससे माना जा रहा है कि नेतन्याहू को माफी मिलना मुश्किल हो जाएगा. आखिर ये पेच क्या है, उसे जानने से पहले जान लेते हैं कि आखिर इजरायल में राष्ट्रपति की क्या पावर है.

राष्ट्रपति की क्या है ताकत?

इजरायल के राष्ट्रपति की वास्तविक शक्ति बहुत सीमित है और मुख्य रूप से प्रतीकात्मक होती है, लेकिन एक क्षेत्र में उनकी शक्ति असाधारण रूप से मजबूत और स्वतंत्र है. अपराधियों को माफी (pardon) देना या सजा कम करना उनके हाथ में है. वह किसी भी अपराधी को पूरी तरह माफ कर सकते हैं, सजा रद्द कर सकते हैं या बदल सकते हैं, और यह फैसला लेते समय वे न्याय मंत्रालय या सरकार की सलाह से बंधे नहीं होते. न्याय मंत्रालय की सलाह पर एक समिति विचार करती है, फिर राष्ट्रपति अंतिम फैसला लेते हैं. लेकिन राष्ट्रपति सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं.

नेतन्याहू की माफी में क्या है पेच?

इजरायली टीवी चैनल 12 से बातचीत में नेतन्याहू के पूर्व वकील मिकाह फेटमैन ने साफ कहा, ‘कानून कहता है कि माफी एक अपराधी को दी जाती है. और अपराधी वही होता है जो अपना गुनाह स्वीकार करे.’ यानी सीधे शब्दों में जब तक नेतन्याहू भ्रष्टाचार के आरोपों को मान नहीं लेते, राष्ट्रपति कानूनी रूप से उन्हें माफी नहीं दे सकते. नेतन्याहू पर रिश्वत, धोखाधड़ी और जनता से विश्वासघात के गंभीर आरोप हैं. ये वे आरोप हैं जिनसे खुद को बचाने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति से माफी की मांग की है, लेकिन उन्होंने एक भी आरोप स्वीकार नहीं किया है.

कानून का इतिहास नेतन्याहू के खिलाफ क्यों?
उनके पूर्व वकील फेटमैन बताते हैं कि इजरायल में माफी का इतिहास बेहद सीमित और सख्त रहा है. सबसे चर्चित उदाहरण है 1984 का ‘बस 300’ मामला, जिसमें शिन बेट एजेंटों ने दो फिलिस्तीनियों की हत्या कर दी थी और बाद में झूठ भी बोला था. तब तत्कालीन राष्ट्रपति चैम हर्ज़ोग (जो मौजूदा राष्ट्रपति के पिता थे) ने तभी माफी दी जब अपराधियों ने खुलकर कबूल किया कि उन्होंने क्या किया था. हाई कोर्ट ने भी उस समय यही साफ कहा था, ‘गुनाह स्वीकार किए बिना माफी नहीं दी जा सकती.’ अब यही कसौटी नेतन्याहू पर भी लागू होती है.

विपक्ष क्यों भड़क गया?

‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’ के मुताबिक विपक्षी नेता यैर लापिद और अन्य नेताओं का कहना है कि अगर नेतन्याहू को बिना अपराध स्वीकार किए माफी मिलती है तो इसका मतलब होगा, ‘एक कानून आम लोगों के लिए और दूसरा प्रधानमंत्री के लिए.’ विपक्ष का आरोप है कि यह लोकतंत्र की रीढ़ पर हमला होगा और न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता खत्म कर देगा.

नेतन्याहू के समर्थक क्या कह रहे हैं?

उनके समर्थक दावा करते हैं कि यह पूरा मुकदमा ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ है और देश को स्थिर रखने के लिए इन्हें खत्म कर देना चाहिए. लेकिन आलोचकों के मुताबिक सत्ता में बैठे किसी व्यक्ति को ऐसे बच निकलने देना ‘संस्थाओं का दुरुपयोग’ होगा.

सारांश:
इजरायल में कानूनी पेच के कारण प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को राष्ट्रपति सीधे क्षमादान नहीं दे सकते। इससे उनकी कानूनी सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है और मामले की प्रक्रिया अलग ढंग से पूरी करनी होगी।

Bharat Baani Bureau

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