बठिंडा 11 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : पंजाब का बठिंडा रेलवे स्टेशन असुरक्षित जोन बन गया है, जहां सुरक्षा ढीली है, मैटल डिटैक्टर बंद रहते हैं, वहीं साधु के वेश में लुटेरे सक्रिय रहते हैं। यात्रियों के मोबाइल चोरी के बढ़ते मामलों के साथ अब लूट, सरकारी संपत्ति की चोरी और कोयला तस्करी तक खुलकर हो रही है। स्टेशन पर लगे मैटल डिटेक्टर महीनों से बंद पड़े हैं, जिससे किसी भी समय बड़ी अप्रिय घटना होने का खतरा बना हुआ है। यात्रियों का कहना है कि स्टेशन के प्रवेश द्वार पर लगे मेटल डिटेक्टर सिर्फ ‘शो पीस’ बनकर रह गए हैं। कोई भी व्यक्ति बिना चैकिंग सीधे प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकता है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति किसी भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक स्टेशन परिसर में साधु या फकीर के भेष में घूमने वाले कुछ बदमाश यात्रियों को निशाना बनाते हैं।

यह गिरोह भीड़ बढ़ने पर यात्रियों को टक्कर मारकर या उनकी नजर हटाकर मोबाइल, पर्स और बैग लेकर फरार हो जाता है। कई यात्री शिकायत कर चुके हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई न होने से बदमाश बेखौफ हैं। पिछले छह महीनों में मोबाइल चोरी के 25 से ज्यादा मामले सामने आए, लेकिन जी.आर.पी. ने सिर्फ 9 एफ.आई.आर. दर्ज की हैं। यात्री जल्दबाजी या कार्रवाई न होने की उम्मीद में शिकायत दर्ज नहीं करवाते हैं, जिससे चोरों के हौसले बुलंद हैं। वहीं स्टेशन यार्ड क्षेत्र में कोयला चोरी आम हो चुकी है। देर रात ट्रेनों से कोयला उतारकर स्थानीय गिरोह बैगों में भरकर ले जाते हैं। रेलवे कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोयला चोरी में कुछ ठेकेदारों की मिलीभगत की आशंका है। रेलवे की संपत्ति को हो रहा नुकसान लाखों रुपए में बताया जा रहा है।

रेलवे स्टेशन पर लगे 40 के करीब सी.सी.टी.वी. कैमरों में से 12 कैमरे खराब हैं। कई प्लेटफॉर्म, टिकट घर और वेटिंग हॉल के आसपास ‘ब्लाइंड स्पॉट’ बनने से चोर आसानी से वारदात अंजाम देकर निकल जाते हैं। यात्रियों में दहशत है, जो स्टेशन पर खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। मानसा के यात्री गुरतेज सिंह ने कहा कि यहां सुरक्षा नाम की चीज नहीं है। फोन पकड़कर ही चलना पड़ता है, वरना पल में गायब हो जाता है। रंजना देवी ने कहा कि रात को तो पुलिस भी दिखाई नहीं देती। मैटल डिटेक्टर बंद हैं, कोई भी अंदर आ सकता है, बहुत डर लगता है। स्टेशन पर सुरक्षा की जिम्मेदारी जी.आर.पी. और आर.पी.एफ. दोनों पर है, लेकिन दोनों के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी साफ दिखाई देती है। रात के समय पैट्रोलिंग बेहद कम होती है, जिससे शरारती तत्वों को खुली छूट मिल रही है। ऐसे में स्टेशन को सुरक्षित करना अब समय की मांग है, मैटल डिटेक्टर तत्काल ठीक किए जाएं, खराब पड़े सी.सी.टी.वी. का नवीनीकरण किया जाए और रात की गश्त बढ़ाई जाए। यात्रियाें ने कहा कि साधु के वेश में घूमने वालों की सख्त चैकिंग की जाए, कोयला चोरी रोकने के लिए विशेष निगरानी की जाए। उन्होंने कहा कि बठिंडा रेलवे स्टेशन की सुरक्षा दशा चिंताजनक हो चुकी है। यात्रियों के साथ रेलवे की सरकारी संपत्ति भी अब सुरक्षित नहीं है। यदि प्रशासन जल्द ही पुख्ता कदम नहीं उठाता तो किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता।

Bharat Baani Bureau

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