14जून:आजकल घंटों लगातार बैठकर काम करने से कंधे, कमर और पीठ में भयंकर दर्द की समस्या बढ़ रही है। देश की 80% आबादी कभी ना कभी रीढ़ की परेशानी झेलती है। खासतौर से वो लोग जो लंबी सिटिंग जॉब्स करते हैं। क्योंकि लॉन्ग वर्किंग और सिटिंग जॉब से आप न सिर्फ फिजिकली बल्कि मेंटली भी अफेक्टेड होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट भी ये कहते हैं कि लगातार बैठना स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक है। सिर्फ 30 मिनट बैठने से मेटाबॉलिज्म 90% तक स्लो हो जाता है। वहीं 2 घंटे लगातार बैठकर काम करने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल भी 20% तक घट जाता है।
लंबे वक्त तक बैठे रहने से गर्दन-पीठ में तनाव बढ़ता है। ऊपर से अगर आप गलत पॉश्चर में बैठते हैं तो रीढ़ की हड्डी की डिस्क पर भी दबाव बढ़ता है। स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटस तक हो सकता है। जो लोग बाइक-गाड़ी ड्राइव करते हैं उन पर भी स्पाइनल इंजरी का रिस्क कम नहीं है। एक स्टडी के मुताबिक, तेज रफ्तार में गाड़ी-बाईक चलाने पर रीढ़ की हड्डी के टूटने का खतरा बना रहता है। क्योंकि एक्सीडेंट होने पर झटके लगने से स्पाइन के फैट और मसल्स डैमेज हो जाते हैं। ऐसे में स्वीमा रामदेव से जानिए योग और आयुर्वेद से अपनी रीढ़ की हड्डी को कैसे मजबूत बनाएं?
सिटिंग जॉब के साइड इफेक्ट्स
- 30 मिनट लगातार बैठने से 90% तक मेटाबॉलिज़्म स्लो
- 2 घंटे लगातार बैठने से गुड कोलेस्ट्रॉल 20% तक घटता है
- 8-11 घंटे बैठने पर 15% बढ़ता है सडेन डेथ का खतरा
- 11 घंटे से ज़्यादा बैठने से 40% बढ़ता है सडेन डेथ का खतरा
रीढ़ की परेशानी
- फ्रोजन शोल्डर
- सर्वाइकल
- वर्टिगो
- स्लिप डिस्क
- साइटिका
हाई स्पीड से खतरे में रीढ़ की हड्डी
- कम रफ्तार में टक्कर
- फैट और मसल्स झटके रोकते हैं
- रीढ़ की हड्डी पर असर नहीं
- हाई स्पीड में रीढ़ की हड्डी टूटने का खतरा
- 65 KM से ज्यादा रफ्तार
- 85% तक सीरियस स्पाइनल इंजरी
दुनिया में पीठदर्द
- साल 2020 63 करोड़
- साल 2050 84 करोड़
- भारत में 45% लोग नहीं देते बैकपेन पर ध्यान
स्लिप डिस्क के स्टेज
पहली स्टेज
डिस्क का डिहाइड्रेट होना
डिस्क की फ्लेक्सिबिलिटी कम होना
डिस्क में कमजोरी आना
दूसरी स्टेज
डिस्क की रेशेदार परत टूटना
तीसरी स्टेज
न्यूक्लियस का एक हिस्सा टूटना