5 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – फ्रांस में ऐतिहासिक राजनीतिक हलचल मच गई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने विश्वास मत खो दिया, जिसके बाद राजनीतिक संकट गहरा गया है। यह 60 वर्षों में पहली बार है, जब फ्रांस की सरकार को इस तरह का बड़ा झटका लगा है। बुधवार को फ्रांस की संसद के निचले सदन, नेशनल असेंबली में हुए अविश्वास प्रस्ताव के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री माइकल बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा। यह प्रस्ताव दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों द्वारा मिलकर पारित किया गया, जिससे फ्रांस की राजनीति में और अस्थिरता आ गई है।

अविश्वास प्रस्ताव कैसे पास हुआ?
नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को 331 मतों से मंजूरी मिली, जबकि इसे पारित करने के लिए 288 मतों की आवश्यकता थी। यह प्रस्ताव न केवल सरकार की नीतियों के खिलाफ था, बल्कि बजट विवाद पर प्रधानमंत्री की विफलता को लेकर असंतोष का भी प्रतीक था। सितंबर में प्रधानमंत्री बने माइकल बार्नियर का कार्यकाल फ्रांस के आधुनिक इतिहास में सबसे कम समय तक चला। मतदान से पहले अपने अंतिम संबोधन में उन्होंने कहा कि फ्रांस और उसके लोगों की सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात थी। बार्नियर ने यह भी चेतावनी दी कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश को और गंभीर संकट की ओर ले जा सकता है।

प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की कुर्सी भी संकट में आ गई है। उन्हें अब नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा, जो सरकार को स्थिर करने और राजनीतिक स्थिति को संभालने के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। बार्नियर औपचारिक रूप से जल्द ही अपना इस्तीफा देंगे। हालांकि, राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि वह 2027 तक अपने कार्यकाल को पूरा करेंगे, भले ही राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही हो। मैक्रों के कार्यालय ने बताया कि वह गुरुवार शाम को देशवासियों को संबोधित करेंगे, हालांकि उन्होंने संबोधन का विषय स्पष्ट नहीं किया है।

जुलाई के संसदीय चुनावों के बाद की स्थिति:
जुलाई में हुए चुनावों के बाद मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, जिससे सरकार को समर्थन जुटाने में कठिनाई आई। यह दूसरा मौका है जब मैक्रों को अपने कार्यकाल में नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ेगा। आर्थिक नीति और सरकारी खर्चों पर विपक्षी दलों में भारी असंतोष था, और दोनों प्रमुख पक्षों के सांसदों ने पहली बार मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया। विपक्ष के बढ़ते प्रभाव से मैक्रों की नीतियों को लागू करना और भी मुश्किल हो सकता है।

सारांश – फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने विश्वास मत खो दिया, जिससे राजनीतिक संकट गहरा गया है। यह 60 वर्षों में पहली बार है जब फ्रांस की सरकार को इस तरह का बड़ा झटका लगा। बुधवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद प्रधानमंत्री माइकल बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा। यह प्रस्ताव दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों ने मिलकर पारित किया, जिससे फ्रांस की राजनीति में अस्थिरता बढ़ गई।

अब राष्ट्रपति मैक्रों को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा, जो सरकार को स्थिर करेगा। जुलाई में हुए चुनावों के बाद, मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, जिससे सरकार को समर्थन जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं। विपक्षी दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण मैक्रों की नीतियों को लागू करना और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Bharat Baani Bureau

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