बिजनेस, 9 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) : सरकार कर्ज कम करने की दिशा में कदम उठा रही है और इसी संदर्भ में वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष (2025-26) से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना को बंद करने पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस योजना के तहत निवेशकों को परिपक्वता के बाद सोने की कीमत के बराबर भुगतान और ब्याज देना होता है, जिससे सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2027 तक अपने कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में महत्वपूर्ण कमी करने का लक्ष्य रखा है, और ऐसे में इस योजना को जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं समझी जा रही। साथ ही, सरकार ने सोने के आयात को कम करने के अपने उद्देश्य को काफी हद तक हासिल कर लिया है।
वित्त मंत्री की योजना: निर्मला सीतारमण 2026 के बजट में कर्ज घटाने के लिए एक विस्तृत योजना पेश कर सकती हैं। वित्त वर्ष 2025 में ऋण-जीडीपी अनुपात 56.8% रहने की संभावना है, जो 2024 में 58.2% था।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का योगदान: इस योजना का मुख्य उद्देश्य सोने के आयात को कम करना था, जिसे अब काफी हद तक सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।
आंकड़े और स्थिति
मार्च 2023 तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर कुल देनदारी ₹4.5 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी थी।
वित्त वर्ष 2023 तक कुल ₹45,243 करोड़ मूल्य के गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए।
आरबीआई ने सरकार के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए इन बॉन्ड्स को समय से पहले भुनाने की सुविधा दी है।
विशेषज्ञों की राय
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव के अनुसार, सोने की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों और सरकार के कर्ज को नियंत्रित करने की आवश्यकता को देखते हुए इस योजना को बंद करना एक समझदारी भरा कदम होगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी, जिसका उद्देश्य फिजिकल गोल्ड के बजाय बॉन्ड्स में निवेश को बढ़ावा देना था। इन बॉन्ड्स की परिपक्वता अवधि 8 साल है और निवेशकों को 2.5% वार्षिक ब्याज मिलता है।
वर्तमान स्थिति
सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में अब तक कोई नया गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं किया है, जबकि 18,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। अंतिम बार फरवरी 2023 में ₹8,008 करोड़ मूल्य के बॉन्ड जारी किए गए थे। यह कदम सरकार की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
सारांश : सरकार कर्ज कम करने की दिशा में कदम उठा रही है और वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष (2025-26) से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना को बंद करने पर विचार कर रहा है। यह योजना सरकार के वित्तीय बोझ को बढ़ाती है क्योंकि निवेशकों को परिपक्वता पर सोने की कीमत के बराबर भुगतान और ब्याज देना पड़ता है। सरकार ने वित्त वर्ष 2027 तक अपने कर्ज और जीडीपी के अनुपात में कमी का लक्ष्य रखा है, और सोने के आयात को भी कम किया है।
इस योजना का उद्देश्य 2015 में फिजिकल गोल्ड की जगह बॉन्ड्स में निवेश को बढ़ावा देना था। इन बॉन्ड्स की परिपक्वता अवधि 8 साल है और निवेशकों को 2.5% वार्षिक ब्याज मिलता है। मार्च 2023 तक इस योजना पर ₹4.5 लाख करोड़ का कर्ज था, और 2023 तक ₹45,243 करोड़ मूल्य के गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए।
विशेषज्ञों के अनुसार, सोने की बढ़ती कीमतों और सरकार के कर्ज को नियंत्रित करने की आवश्यकता को देखते हुए इस योजना को बंद करना एक समझदारी भरा कदम होगा। सरकार ने 2025 में अब तक कोई नया गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं किया है, जबकि 18,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था।