Gold Trends in 2025 25 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) : साल 2024 में सोने की कीमतों में अच्छी तेजी देखने को मिली। मिडिल-ईस्ट में तनाव, रूस-यूक्रेन संघर्ष, सेंट्रल बैंकों की पॉलिसी समेत कई अन्य वजहों से सेफ-हैवेन के रूप में सोने की डिमांड बढ़ी। 2024 में कॉमैक्स (COMEX) पर करीब 30 फीसदी की रैली गोल्ड ने दिखाई। इसके अलावा, घरेलू डिमांड-सप्लाई में असंतुलन और घरेलू मार्केट सेंटीमेंट्स ने भी सोने की कीमतों पर असर डाला। 2025 को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि गोल्ड को लेकर आउटलुक पॉजिटिव है। जियो-पॉलिटिकल टेंशन, सेंट्रल बैंकों की मांग, मौद्रिक नीति में बदलाव और प्रमुख बाजारों में मजबूत कंज्यूमर खरीदारी का असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ेगा और इसमें तेजी आ सकती है। कॉमैक्स पर सोना 3,000 डॉलर प्रति औंस का लेवल दिखा सकता है।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) ने अपनी ‘गोल्ड आउटलुक 2025’ में कहा है कि सेंट्रल बैंकों की मॉनेटरी पॉलिसी आर्थिक स्थितियों को आकार देने में अहम होती हैं। हाल ही में यूएस फेड (US Fed) के फैसले से यह डायनेमिक्स सामने आया है। फेड की ओर से ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा महंगाई दर में कमी और लेबर मार्केट को लेकर जारी चिंताओं के बीच इकोनॉमिक ग्रोथ को बूस्ट देने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
MOFSL का कहना है कि प्रेसिडेंट-इलेक्ट ट्रम्प की ओर से नीतियों में बदलाव से भी दर में कटौती की उम्मीदों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। साल की शुरुआत से फेड की टिप्पणियों और बाजार की बदलती उम्मीदों ने निवेशकों के सेंटीमेंट्स का ध्यान नहीं रखा है। यह आने वाले दिनों में मौद्रिक नीति के बारे में अनिश्चितता को दर्शाता है।
घरेलू मौद्रिक नीतियों के अलावा, जियो-पॉलिटिकल रिस्क ने बाजार डायनमिक्स को और जटिल बना दिया है। मिडिल ईस्ट खासकर इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष और क्षेत्र में भारी अस्थिरता के साथ बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन का केंद्र बिंदु बन गया है। ऐसे अनिश्चितता के समय में गोल्ड को सेफ-हैवेन एसेट के रूप में देखा जा रहा है।
निवेशक अक्सर जियो-पॉलिटिकल टेंशन से अपने पोर्टफोलियो को बचाने के लिए सोने और चांदी की ओर रुख करते हैं। यूएस प्रेसिडेंट पद के लिए ट्रंप की जीत के बाद मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने इन तनावों में संभावित कमी को कम आंकना शुरू कर दिया है। इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते के बारे में भी बहुत सारे अपडेट आए हैं। हालांकि, बिना किसी ठोस सबूत के बाजार में इसका बड़ा असर नहीं दिखाई देगा।
डॉलर इंडेक्स 2024 में काफी वॉलेटाइल रहा है। फेड की दरों में कटौती के बावजूद डॉलर इंडेक्स मजबूत बना रहा, निचले स्तरों पर गिरने के बाद जल्दी से ठीक हो गया। अमेरिकी डॉलर और कीमती धातुओं के बीच विपरीत संबंध सही साबित हुआ है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोने और चांदी की कीमतें गिरती हैं। इसके विपरीत जब सोना-चांदी के भाव बढ़ते हैं तो डॉलर कमजोर होता है। चूंकि डॉलर अस्थिर बना हुआ है, ऐसे में गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
2024 में गोल्ड की ग्लोबल डिमांड में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। इमर्जिंग मार्केट्स समेत दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने बीते एक दशक से ज्यादा समय से सोने सबसे बड़े खरीदार रहे। 2024 में उन्होंने कुल 500 टन से ज्यादा सोना खरीदा। सेंट्रल बैंकों की सोने को लेकर बढ़ती दिलचस्पी ने कीमतों पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि बैंकों ने करेंसी की अस्थिरता के खिलाफ हेजिंग के लिए सोने का रिजर्व बढ़ाया है।
हाल में गोल्ड ईटीएफ में आई तेजी से साफ हैकि सेफ-हैवेन एसेट्स के रूप में सोने के लिए निवेशकों का इंटरेस्ट दोबारा से बढ़ा है। जबकि इससे पहले के साल में गोल्ड ईटीएफ में आउटफ्लो देखा गया था।
भारत में घरेलू मांग में तेजी आई है। सोने और चांदी ईटीएफ में एसेट अंडर मैनेजमेंट क्रमशः 30,000 करोड़ और 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा सोने और चांदी पर आयात शुल्क में कटौती से मांग में तेजी आई है, खासकर त्योहारों और शादी के मौसम में, जिससे कीमतें और बढ़ गई हैं।
बता दें, भारत ने सोने के आयात शुल्क में 900 बेसिस प्वाइंट की कटौती की, जिससे ज्वैलरी डिमांड में पिछले साल 18 फीसदी (YoY) का इजाफा हुआ। 2024 में घरेलू मोर्चे पर सोने कुल आयात 700 टन से ज्यादा रहा।
Gold: नए साल में किस तरह के रहेंगे ट्रेंड
केडिया कमोडिटीज के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि बेहतर मानसून और रूरल इनकम में ग्रोथ से भारत में सोने की खपत को बढ़ावा दिया। चीन की ढीली मौद्रिक नीति और 0.2% महंगाई दर ने सोने की खरीद को सपोर्ट किया है। देश के ऑर्गनाइज्ड ज्वैलर्स ने वित्त वर्ष 2025 में नेटवर्क का 16-18% तक विस्तार करने की योजना बनाई है। कमजोर युआन के बावजूद चीन की औद्योगिक और उपभोक्ता मांग मजबूत बनी रही।
केडिया कहते हैं, वित्त वर्ष 2024 में ग्लोबल ज्वैलरी डिमांड में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और वित्त वर्ष 2025 में 14-18% की वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत का ऑर्गनाइज्ड ज्वैलरी मार्केट टियर II और III शहरों में फैल रहा है। वित्त वर्ष 2025 में ब्रांडेड आभूषणों से होने वाले राजस्व में सालाना आधार पर 18-20% की वृद्धि होने का अनुमान है। 2024 में केंद्रीय बैंक द्वारा 1,200 टन की खरीद ने सप्लाई को बल दिया है।
उनका कहना है कि मिडिल ईस्ट या पूर्वी यूरोप में संघर्ष बढ़ने से सोने की सेफ हैवेन डिमांड बढ़ सकती है। 2025 में फेड की ओर से दरों में कटौती की धीमी गति सोने की तेजी की संभावना को सीमित कर सकती है। मजबूत डॉलर या जियो-पॉलिटिकल टेंशन नरम पड़ने से गोल्ड की तेजी सीमित दायरे में रह सकती है। सेंट्रेल बैंकों की की गोल्ड रिजर्व की स्ट्रैटजी एक अहम डिमांड ड्राइवर बनी हुई है।
गोल्ड लीजिंग प्लेटफॉर्म MyGold के फाउंडर अमोल बंसल का कहना है कि घरेलू स्तर पर अगले साल शादियों के सीजन को देखते हुए गोल्ड की फिजिकल डिमांड 800 से 900 टन रह सकती है। यह करीब 2024 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है। इन्वेस्टमेंट डिमांड की बात की जाए तो ऐसा देखा गया है कि कुल डिमांड का 30, 40 फीसदी इन्वेस्टमेंट के लिए आता है। जोकि गोल्ड क्वाइन, गोल्ड बुलियन में होता है। यह आगे भी बना रहेगा। बीते कई साल से ऐसा ही ट्रेंड देखा जा रहा है।
अगल गोल्ड की कीमतों में इजाफा होता है, तो गोल्ड इंडस्ट्री में बड़ा मूवमेंट आ सकता है। ऐसा अनुमान है कि ट्रम्प के आने के बाद एक बड़ा अपसाइड ट्रेंड दिख सकता है और गोल्ड 3,000 डॉलर का लेवल पार कर सकता है।
अमोल बंसल कहते हैं कि घरेलू गोल्ड डिमांड में एक सेगमेंट स्प्रिचुअल डिमांड के रूप में जेनरेट हो रही है। जैसेकि लोग मंदिरों या मठों में सोने का दान करते हैं। ऐसे में आने वाले समय में गोल्ड की एक बड़ी स्प्रिचुअल डिमांड देखने को मिल सकती है। बता दें, मायगोल्ड ने 24 कैरेट गोल्ड मंदिरों में दान करने का एक ‘स्वर्णदान’ इनीशिएटिव भी शुरू किया है। इसके लिए MMTC और टेम्पल कनेक्ट जैसे प्लेटफॉर्म से भागीदारी की है।
Gold: 2025 में कहां तक जा सकता है भाव
MOFSL के एनॉलिस्ट (कमोडिटी रिसर्च) मानव मोदी का कहना है, गोल्ड पर पॉजिटिव रुख है। घरेलू बाजार में सोना 81,000 रुपये का लेवल दिखा सकता है। अगले 2 साल में यह 86,000 रुपये के टारगेट की ओर बढ़ सकता है। ऐसे में “Buy on dips” की सलाह दी जाती है। मीडियम टर्म के आउटलुक से कॉमेक्स गोल्ड को 2,830 डॉलर तक जा सकता है। जबकि लॉन्ग टर्म में 3,000 डॉलर प्रति औंस का लेवल पार कर सकता है।
अजय केडिया का कहना है, जियो-पॉलिटिकल रिस्क, सेंट्रल बैंकों की मांग, मौद्रिक नीति में बदलाव और प्रमुख बाजारों में मजबूत उपभोक्ता खरीद के होने वाले असर को देखते हुए सोना 2025 में मजबूत प्रदर्शन के लिए तैयार है। MCX पर 85,000 रुपये और COMEX पर 2,900 डॉलर का लेवल दिखा सकता है।
गोल्ड प्राइस आउटलुक पर अमोल बंसल का कहना है कि अगले साल इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड 3,000 डॉलर प्रति औंस का लेवल तोड़ सकता है। गोल्डमैन सैक्स ने भी यह अनुमान जताया है। अगर इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड यह लेवल दिखाता है तो घरेलू बाजार में भाव 92,000 से 1,00,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक जा सकते हैं।