25 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू और अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान से कहीं कम यानी 5.4 प्रतिशत रही है। इसकी वजह निजी उपभोग व्यय और सकल स्थिर पूंजी निर्माण में गिरावट है। ईवाई की रिपोर्ट में यह बात कही गई।
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में जीडीपी की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। इससे पिछली तिमाही में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी। जुलाई-सितंबर में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट मुख्य रूप से घरेलू मांग के दो प्रमुख तत्वों…निजी अंतिम उपभोग व्यय और सकल स्थायी पूंजी निर्माण में संयुक्त रूप से 1.5 प्रतिशत अंक की कमी के कारण आई।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘मांग की एक उल्लेखनीय विशेषता निवेश में सुस्ती है, जैसा कि सकल स्थायी पूंजी निर्माण की वृद्धि में परिलक्षित होता है। इस वृद्धि के वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो छह तिमाहियों का निचला स्तर है। इस तथ्य के अलावा कि निजी निवेश की मांग में तेजी नहीं आई है, सरकार के निवेश खर्च की वृद्धि नकारात्मक रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसमें 15.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।’’
‘ईवाई इकनॉमी वॉच दिसंबर’ 2024 में वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल 2024 से मार्च 2024 वित्तीय वर्ष) और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इसमें वित्त वर्ष 2047-48 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के राजकोषीय दायित्व ढांचे में सुधार के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।