अजमेर 6 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) –. मोरपंखी पौधा एक सजावटी पौधा है, जो अपने खूबसूरत पत्तों के कारण बागवानी में लोकप्रिय है. इसे धरतूणी या तामरपर्णी भी कहा जाता. इसे घर, गार्डन और ऑफिस की सजावट के लिए उपयोग किया जाता है. इसका नाम इसके पत्तों की बनावट के कारण पड़ा है, जो मोर के पंखों की तरह दिखती है. लेकिन इस पौधे के कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं. कई आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए मोरपंखी के पौधे का उपयोग किया जाता है.
मोरपंखी आयुर्वेद में अपनी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. मोरिंगा मोरपंखी में अनेकों औषधीय लाभ पाए जाते हैं. आयुर्वेदिक डॉक्टर मनीष वर्मा ने बताया कि मोरपंखी के पत्तों का रस या पेस्ट त्वचा की जलन, घाव, और एलर्जी को ठीक करने में मदद करता है. यह एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है, जो त्वचा संक्रमण को रोकने में सहायक है.
पाचन शक्ति को सुधारने में सहायक
इसके पत्तों का उपयोग सूजन और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में इसे गठिया या जोड़ों संबंधी समस्याओं में राहत के लिए उपयोग किया जाता है. डॉक्टर ने बताया कि मोरपंखी के अर्क का उपयोग पाचन विकारों, जैसे अपच और पेट की सूजन को कम करने में किया जा सकता है.
बालों के लिए फायदेमंद
इसके तेल या पत्तों के रस को बालों की जड़ों में लगाने से बालों की वृद्धि में मदद मिलती है और बाल झड़ने की समस्या कम होती है. इसके अलावा इसका उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है. इसके पत्तों के रस का नियमित सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं.
मोरपंखी के उपयोग के तरीके
डॉक्टर मनीष शर्मा ने बताया कि बोर पिंकी का उपयोग कई तरीके से किया जाता है. इसके पत्तों को पीसकर रस के रूप में सेवन किया जाता है. इसके अलावा इसका पेस्ट त्वचा और बालों पर लगाया जाता है. वहीं इसके पत्तों की हर्बल चाय भी बनाई जाती है.