long sun exposure

02 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – कैंसर के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, हृदय रोगों के बाद ये वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। कैंसर के बढ़ते जोखिमों और इससे मृत्यु के खतरे को कैसे कम किया जा सकता है, इसको जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। इसके आधार पर विशेषज्ञों ने लोगों को धूप के अधिक संपर्क में आने से बचने की सलाह दी है।

शोध में पता चला है कि यूके-यूएस सहित कई देशों में स्किन कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, अधिक धूप के संपर्क में आने से स्किन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है, जिससे बाद में मेलेनोमा और अन्य प्रकार के त्वचा कैंसर के मामले विकसित होने का जोखिम दोगुना हो सकता है, जो त्वचा कैंसर का सबसे घातक रूप है।

धूप के अधिक संपर्क से बढ़ रहा है स्किन कैंसर का खतरा

अध्ययन में पाया गया कि युवा आयु वर्ग में इस कैंसर का जोखिम सबसे अधिक रिपोर्ट किया गया है, जिसमें 18 से 32 वर्ष की आयु वाले 65 प्रतिशत लोगों में इस कैंसर के खतरे के लिए धूप के अधिक संपर्क में आने को एक कारण पाया गया है।

यूके में 16 वर्ष से अधिक आयु के 2,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि एक तिहाई से अधिक लोग गर्मी के मौसम में नियमित रूप से सनस्क्रीन नहीं लगाते हैं, जिसके कारण त्वचा पर सूर्य के यूवी रेज का सीधा असर होता है।

ये अध्ययन यूके के लोगों पर किया गया है, जहां स्किन कैंसर के मामले बहुत अधिक हैं, क्या भारतीय आबादी में भी इसका खतरा है? आइए इसे समझते हैं।

भारतीय लोगों में स्किन कैंसर का खतरा

भारत में पिछले एक दशक में कैंसर के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पश्चिमी देशों की तुलना में यहां पर स्किन कैंसर के मामले अपेक्षाकृत कम हैं। 

हालांकि पश्चिम बंगाल स्थित ब्रेनवेयर यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि भारत में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (एससीसी) के मामले अधिक रिपोर्ट किए जाते हैं जबकि वैश्विक स्तर पर बेसल सेल कार्सिनोमा (बीसीसी) का खतरा अधिक है।

लंबे समय तक धूप में रहने वाले व्यक्तियों, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का जोखिम अधिक हो सकता है। अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ये अधिक रिपोर्ट किए जाने वाला कैंसर है।

विटामिन-डी की मदद से कम होता है स्किन कैंसर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, भले ही भारत में त्वचा कैंसर का जोखिम और इसके मामले कम हैं, पर इससे बचाव को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहना चाहिए। जो लोग धूप के अधिक संपर्क में रहते हैं, खेतों में काम करते हैं या फिर फील्ड वर्क करते हैं, ऐसे लोगों को और भी अलर्ट रहना चाहिए।

स्किन कैंसर के खतरे को कैसे कम किया जा सकता है, इसको समझने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने एक अध्ययन में पाया कि अगर आप आहार या डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स के रूप में विटामिन-डी की मात्रा बढ़ा देते हैं तो ये उपाय आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है।

स्किन कैंसर और इसका खतरा

त्वचा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, ये संभावित रूप से शरीर के अन्य हिस्सों पर भी अटैक कर सकती हैं। अधिकांश त्वचा कैंसर सूर्य के पराबैंगनी (यूवी) विकिरण के अधिक संपर्क में आने से होते हैं। मेलेनोमा सबसे आम प्रकार का स्किन कैंसर हैं।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (एससीसी) और बेसल सेल कार्सिनोमा (बीसीसी) भी त्वचा कैंसर के ही प्रकार हैं।  मेलेनोमा सबसे खतरनाक प्रकार का स्किन कैंसर है, जो त्वचा में रंगद्रव्य पैदा करने वाली कोशिकाओं मेलानोसाइट्स से उत्पन्न होता है। धूप के सीधे संपर्क में आने से बचने, आहार में सुधार जैसे विटामिन-डी और एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ाने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

Bharat Baani Bureau

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