नई दिल्ली 10 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस और राज्यसभा सांसद जया बच्चन एक बार फिर चर्चा में हैं. अपनी बेबाकी के लिए जानी जाने वाली जया बच्चन अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में छा जाती हैं. अपनी नातिन नव्या नवेली नंदा के पॉडकास्ट ‘व्हाट द हेल नव्या‘ में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की. इस पुरानी बातचीत में उन्होंने ‘एंग्जायटी अटैक्स‘ के बारे में बात की और बताया कि इसके लिए जिम्मेदारी कौन है.
नव्या नवेली नंदा के पॉडकास्ट के एक पुराना एपिसोड वायरल हो रहा है, जिसके बाद जया बच्चन की बातें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गईं. उन्होंने साफ कहा कि आज की पीढ़ी में क्यों एंग्जायटी अटैक्स के केस बढ़ गए हैं.
डिजिटल दुनिया ने बिगाड़ा खेल
बातचीत में, जया बच्चन ने चिंता जाहिर की कि डिजिटल दुनिया के बहुत ज्यादा संपर्क से जेनरेशन Z की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है. जया ने अपनी बात रखते हुए कहा- हम जब बच्चे थे, तब anxiety attack का नाम तक नहीं सुना था.
हमने कभी ये सुना भी नहीं- न बचपन में, न जवानी में
नातिन नव्या से बातचीत के दौरान जया बच्चन ने कहा, ‘तुम लोगों की पीढ़ी में ये चलता है ना कि तुरंत कॉल का जवाब दो, मैसेज का रिप्लाई करो. सब कुछ फोन और इंटरनेट पर वैलिडेशन पाने का तरीका बन गया है. हम अच्छे लग रहे हैं या नहीं? ठीक बोल रहे हैं या नहीं? क्या हम सही बात कह रहे हैं? ये सब चीजें बहुत ज्यादा स्ट्रेस पैदा करती हैं.‘ जब नव्या ने पूछा कि क्या इंटरनेट ने उनकी पीढ़ी को ज्यादा तनावग्रस्त कर दिया है, तो जया का दो टूक जवाब था, ‘बिलकुल!‘ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हमारे जमाने में किसी ने anxiety attack का नाम तक नहीं सुना था. ना बचपन में, ना जवानी में.’
मां की बातों से सहमत नहीं थीं बेटी श्वेता बच्चन
हालांकि, मां की इन बातों से बेटी श्वेता बच्चन नंदा सहमत हीं दिखीं. उन्होंने कहा- एंग्जायटी पहले भी थी, फर्क बस इतना है कि अब बस लोग खुलकर बोलने लगे हैं. लोग अब उसे पहचानते हैं और उस पर बात करते हैं.
सारांश:
जया बच्चन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी मानसिक सेहत को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन या जवानी में कभी “एंग्जायटी अटैक्स” नहीं हुए थे, लेकिन अब इसका सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इसके पीछे सोशल मीडिया और बदलती जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराया। जया का यह बयान आज की तेज़ भागती ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नई बहस छेड़ता है।