26 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) इस वक्त दुनिया में अगर किसी नेता की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, तो वो सुपरपावर अमेरिका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिकी की कमान संभाली है, उनकी नीतियां पहले से काफी बदली हुई नजर आ रही हैं. जो अमेरिका, पाकिस्तान को भाव भी नहीं देता था, उसे डोनाल्ड ट्रंप अपनी गोद में बिठा रहे हैं. दुनिया के सबसे शक्तिशाली दफ्तर ओवल हाउस में बुलाकर फोटो खिंचवा रहे हैं, आखिर इसके पीछे वजह क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से पाकिस्तान के पीएम और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तारीफों के पुल बांध रहे हैं, वो काफी अजीब है. पिछले 6 साल से इस देश के नेताओं को अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिस में एंट्री तक नहीं मिली थी. साल 2019 के बाद से कोई पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जिस जगह पर नहीं पहुंचा, वहां शहबाज शरीफ पहुंचे, तो बात साफ हो गई कि ट्रंप का कोई बड़ा हित इसके पीछे छिपा हुआ है.
मुलाकात, तारीफ और प्यार के पीछे क्या?
डोनाल्ड ट्रंप की अब तक की नीतियां बता रही हैं कि वे कोई भी काम बिना फायदे के तो करते नहीं. किसी भी देश को वो तब तक ही भाव देते हैं, जब तक इसके पीछे उनका कोई स्वार्थ न हो. ऐसे में पाकिस्तान तो इस वक्त अमेरिका के लिए वो तुरुप का पत्ता है, जो उसकी कई बीमारियों की दवा बन सकता है. तभी तो जिस पाकिस्तान के नेताओं को पाकिस्तान ऑफिस में 6 साल घुसने नहीं दे रहा था, उसके लिए ट्रंप रेड कार्पेट बिछा रहे हैं. ये प्यार यूं ही नहीं है, इसके लिए तमाम वजहें हैं.
बगराम एयरबेस पर नजर
अफगानिस्तान के साथ अमेरिका का नया लफड़ा बगराम एयरबेस पर कब्जे को लेकर है. इस मुद्दे में पाकिस्तान बड़ी भूमिका निभा सकता है क्योंकि अमेरिका, पाकिस्तान को अफगानिस्तान का गेटवे मानता आया है. अगर उसे बगराम पर कब्जा करना है और तालिबान से लड़ना है, तो उसे पाकिस्तान का सहयोग चाहिए ही होगा. इसके अलावा अमेरिका की नजर पाकिस्तान में क्रिप्टो बिजनेस और हाल ही में पता चले कथित तेल और मिनरल्स के खजाने पर है.
पाकिस्तान–सऊदी रक्षा समझौता
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच की डिफेंस डील भी इसमें एक बड़ी वजह है. विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा समझौता बिना अमेरिका की इज़ाजत के पाकिस्तान नहीं कर सकता. अमेरिका इस समझौते पर बारीकी से नजर रखे हुए है. अमेरिकी चिंताएं मुख्य रूप से पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच परमाणु सहयोग या तकनीकी साझेदारी की संभावनाओं पर आधारित है. इसके अलावा अमेरिका ये भी देख रहा है कि ये कैसे मध्य पूर्व के संतुलन को प्रभावित करने वाला है.
ईरान को लेकर नजरिया
ईरान-इजरायल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक के बाद, अमेरिका ने ईरान पर हमले किए, जिसमें पाकिस्तानी गुप्त मदद की बात सामने आई. अब, जब ट्रंप प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से मिलने जा रहे हैं, तो वाशिंगटन ईरान के साथ अपने टकराव में पाकिस्तान की भू-राजनीतिक स्थिति और प्रभाव का और अधिक लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है. खासकर तब जब ईरान यूरेनियम संवर्धन को लेकर गंभीर है.