13 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : चांदी की कीमतों में जारी तूफानी तेजी को देखते हुए म्युचुअल फंड हाउस ठिठक गए है। कोटक और यूटीआई के बाद, अब एसबीआई म्युचुअल फंड (SBI MF) ने भी सोमवार यानी 13 अक्टूबर से अपने एसबीआई सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (SBI Silver ETF FoF) में नए लंपसम निवेश पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। फंड हाउस ने इसके पीछे चांदी की सप्लाई में आ रही दिक्कत और बढ़ती मांग को कारण बताया है।
SBI MF ने क्यों लगाई रोक?
फंड हाउस ने यूनिटहोल्डर्स को एक नोटिस के जरिए जानकारी दी कि बाजार की मौजूदा स्थिति और निवेशकों के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उसने एसबीआई सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड में सभी नई सब्सक्रिप्शन, जिसमें लंपसम निवेश, अतिरिक्त खरीद और स्विच-इन शामिल हैं, को अस्थायी रूप से रोकने का निर्णय लिया है।
यह स्कीम एसबीआई सिल्वर ईटीएफ (SBI Silver ETF) में निवेश करती है, जो घरेलू चांदी की कीमतों को ट्रैक करता है। फंड हाउस ने कहा कि घरेलू कीमतों में प्रीमियम ने वैल्यूएशन को प्रभावित किया है, जिससे नई ईटीएफ यूनिट्स को इण्डिकेटिव NAV पर बनाना मुश्किल हो गया है।
एसबीआई म्युचुअल फंड ने कहा कि यह निलंबन अस्थायी है और अगली सूचना तक जारी रहेगा।
पहले से चल रही SIP का क्या होगा?
फंड हाउस के मुताबिक, स्कीम द्वारा पेश किए गए सभी मौजूदा और नए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) चालू रहेंगे। निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि निलंबन अवधि के दौरान रिडेम्प्शन और स्विच-आउट योजना स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) में बताए गए नियमों के अनुसार जारी रहेंगे।
हाई प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे सिल्वर ईटीएफ
एसबीआई म्युचुअल फंड का यह कदम कोटक म्युचुअल फंड और यूटीआई म्युचुअल फंड की समान कार्रवाई के बाद आया है, जिन्होंने अपने सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड में निवेश रोक दिया था।
इन निलंबनों की सीरीज से सिल्वर फंड कैटेगरी में बढ़ती सतर्कता का संकेत मिलता है, जबकि कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं।
वैश्विक स्तर पर चांदी की कीमत 50 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंच गई है, जबकि भारत में कीमत 1.63 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। इस तेजी ने निवेशकों की रुचि बढ़ा दी है, जिससे कई सिल्वर ईटीएफ अपने एसेट्स की तुलना में हाई प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं।
सारांश:
SBI म्यूचुअल फंड ने सिल्वर ETF फंड ऑफ फंड (FoF) में नए निवेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह फैसला बाजार में बढ़ते प्रीमियम और ओवरवैल्यूएशन के डर के चलते लिया गया है। मौजूदा निवेशकों के फंड सुरक्षित रहेंगे।