21 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) गेहूं के आटे की रोटी लगभग हर घर में बनाई जाती है। इसकी रोटियां लोग सालों से खा रहे हैं। गेहूं भले ही पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है लेकिन इसे खाने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि गेहूं में ग्लूटेन होता है और भारत में कई सारे लोगों को ग्लूटन से बनी चीजे पचाने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे में डॉक्टर तरंग कृष्ण ने बताया है कि 21 दिनों तक गेहूं छोड़ने से शरीर को क्या क्या फायदे मिलते हैं।
क्या कहते हैं डॉ तरंग
डॉक्टर तरंग का कहना है कि गेहूं में ग्लूटेन होता है। पहले के जमाने में मिलने वाले गेहूं छिलके के साथ आते थे, लेकिन अब बिना छिलके वाले गेहूं बाजार में बिकते हैं। बाजार में मिलने वाले गेहूं जेनेटिकली मॉडिफाइड ओरिजिन है। ऐसे में ग्लूटेन छोड़ने से शरीर में कई तरह के फायदे दिखते हैं। चलिए जानते हैं ग्लूटेन छोड़ने से शरीर को क्या क्या फायदे मिलते हैं।
21 दिनों तक गेहूं न खाने के फायदे
वजन कम करने में सहायक
गेहूं की रोटी छोड़ने और उसकी जगह कम कैलोरी वाले या साबुत अनाज (जैसे बाजरा, ज्वार, रागी) को अपनाने से कैलोरी का सेवन कम हो सकता है और वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
पाचन में सुधार
कुछ लोगों को गेहूं में मौजूद ग्लूटेन के कारण गैस, पेट फूलना (ब्लोटिंग), अपच या कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं। 21 दिन तक गेहूं न खाने से इन समस्याओं में कमी आ सकती है और पाचन तंत्र को आराम मिल सकता है।
ब्लड शुगर लेवल करे कंट्रोल
गेहूं में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। इसे डाइट से हटाने से ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने में मदद मिल सकती है, खासकर मधुमेह के रोगियों के लिए।
सूजन और एलर्जी में कमी
कुछ लोगों में गेहूं का सेवन शरीर में सूजन या एलर्जी की प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है। गेहूं को छोड़ने से जोड़ों के दर्द या त्वचा संबंधी समस्याओं (जैसे मुंहासे, एक्ने) में कमी आ सकती है।
सारांश:
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, 21 दिन तक गेहूं की रोटी न खाने से पाचन सुधार सकता है, वजन नियंत्रित रहता है और शरीर में सूजन कम हो सकती है। यह उपाय उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो हल्का और हेल्दी डाइट चाहते हैं।