24 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारत में आईटी और दवा बनाने वाली कंपनियों (फार्मास्यूटिकल) को रुपये की गिरती कीमत से फायदा हो सकता है। स्वतंत्र मार्केट विश्लेषक अजय बोडके का कहना है कि अगर रुपया ऐसे ही कमजोर होता रहा, तो इन कंपनियों की कमाई बढ़ सकती है। हाल ही में रुपया गिरकर 89.54 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे कम स्तर है। अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर कम करने की उम्मीदों के कमजोर पड़ने से रुपये पर दबाव बढ़ा है। कुछ जानकारों का मानना है कि रुपया जल्द ही 90 रुपये प्रति डॉलर तक भी जा सकता है।

IT और फार्मा कंपनियों को अधिक लाभ क्यों?

अजय बोडके बताते हैं कि गिरता हुआ रुपया उन कंपनियों के लिए अच्छा होता है जो अपनी ज्यादातर कमाई डॉलर जैसी विदेशी करेंसी में करती हैं, लेकिन अपना खर्च रुपये में करती हैं। आईटी कंपनियों की 70–90% कमाई अमेरिका और यूरोप से डॉलर में आती है, जबकि उनके कर्मचारियों को तनख्वाह रुपये में दी जाती है। इसलिए जब रुपया कमजोर होता है, तो इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ जाता है। दवा (फार्मा) कंपनियों की भी बड़ी मार्केट अमेरिका है, इसलिए उन्हें भी रुपये के कमजोर होने से फायदा मिलता है। टेक्सटाइल जैसे कुछ अन्य निर्यात वाले क्षेत्रों पर इसका असर कभी अच्छा, कभी ठीक-ठाक रह सकता है।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और रिसर्च हेड जी. चोक्कलिंगम का कहना है कि रुपये की गिरावट का बड़ा फायदा उन कंपनियों को भी मिलेगा जो आयात की जगह भारत में ही सामान बनाती हैं (इम्पोर्ट- सब्स्टिट्यूट कंपनियां)।

उनके मुताबिक, जब डॉलर महंगा होता है, तो विदेश से आने वाला सामान भी महंगा हो जाता है, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए बाजार में मौका बढ़ता है। सरकार की ओर से लगाई जाने वाली एंटी-डंपिंग ड्यूटी भी इन कंपनियों को अतिरिक्त फायदा देती है।

चोक्कलिंगम का यह भी कहना है कि ज्यादातर निर्यात करने वाले अन्य सेक्टरों को ज्यादा लाभ नहीं होगा क्योंकि भारत का निर्यात कुछ समय से कमजोर है, कई उद्योगों को कच्चा माल भी विदेश से लाना पड़ता है, और अमेरिका की ओर से नए आयात शुल्क लगने का डर भी बना रहता है।

किन कंपनियों पर बढ़ेगी मुश्किलें?

अजय बोडके के अनुसार रुपये की गिरावट उन उद्योगों के लिए खराब होती है जो अपना ज्यादातर कच्चा माल विदेश से लाते हैं। तेल और गैस कंपनियां, हवाई जहाज (एविएशन) कंपनियां, पेंट और रोजमर्रा का सामान बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों का खर्च बढ़ सकता है, क्योंकि इन्हें कच्चा तेल, टाइटेनियम डाइऑक्साइड और पैकिंग का सामान विदेश से खरीदना पड़ता है। इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियां भी मुश्किल में पड़ सकती हैं, क्योंकि वे ज्यादातर पार्ट्स बाहर से मंगाती हैं।

शेयर बाजार में आईटी की बढ़त, फार्मा भी मजबूत

रुपये की कमजोरी का असर सोमवार को शेयर बाजार में भी नजर आया। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.5% से ज्यादा चढ़ गया, यानी आईटी कंपनियों के शेयरों में अच्छी बढ़त हुई। फार्मा कंपनियों के शेयर भी थोड़ा ऊपर रहे। टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में मिला-जुला हाल देखने को मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रुपया और कमजोर होता है, तो इन क्षेत्रों में निवेशकों की रुचि और बढ़ सकती है।

क्या रुपया 90 डॉलर के स्तर को छुएगा?

कोटक सिक्योरिटीज के करंसी विशेषज्ञ अनिंद्या बनर्जी का कहना है कि दुनिया भर के बाजारों में लोग जोखिम लेने से बच रहे हैं, डॉलर मजबूत हो रहा है और भारत–अमेरिका के व्यापार समझौते को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इन सब वजहों से रुपये पर दबाव बना हुआ है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में रुपया 88.70 से 90.30 के बीच रह सकता है और जल्दी ही 90 रुपये प्रति डॉलर का स्तर भी छू सकता है। उनका कहना है कि असल कीमत के हिसाब से रुपया अभी भी थोड़ा कम आंका गया है, लेकिन इसे ऊपर ले जाने के लिए कोई अच्छी खबर चाहिए, जैसे भारत–अमेरिका व्यापार समझौते में बढ़त।

Indian Rupee मे गिरावट कितनी चिंताजनक?

अजय बोडके के अनुसार, रुपये की यह गिरावट चिंता की बात नहीं है, जब तक यह धीरे–धीरे हो रही है और अचानक बहुत तेज नहीं गिरती। इस साल अब तक रुपया 4.13% कमजोर हुआ है, जो एशियाई देशों में सबसे खराब माना जा रहा है। लेकिन सोमवार को यह खबर आने पर कि रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये को संभालने के लिए कदम उठाए हैं, रुपया थोड़ा मजबूत हुआ और 89.08 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा। आर्थिक अनुशासन और आरबीआई की महंगाई नियंत्रण नीति की वजह से उम्मीद है कि रुपया अचानक बहुत ज्यादा नहीं गिरेगा। विशेषज्ञों की सलाह है कि आम निवेशक सिर्फ रुपये की इस गिरावट को देखकर अपने निवेश में बड़े बदलाव न करें, जब तक कि रुपया लगातार और तेजी से कमजोर न होने लगे।

सारांश:
कमजोर रुपये के प्रभाव ने आईटी और फार्मा सेक्टर में सकारात्मक असर डाला है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस परिस्थिति का लाभ उठाकर निवेशकों के लिए बड़ा मुनाफा कमाना संभव है। दोनों सेक्टर में भविष्य में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही है।

Bharat Baani Bureau

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