04 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : आज सुबह से पूरी दुनिया की नजर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर टिकी हुई है. वजह आज वे भारत की यात्रा पर आ रहे हैं और जिस अंदाज में आ रहे हैं, उसने सबको हैरान कर दिया है. दरअसल, इस बार राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमीर पुतिन के फ्लीट में बिल्‍कुल एक जैसे दो एयरक्राफ्ट शामिल किए गए हैं. इन दोनों एयरक्राफ्ट का न केवल मॉडल एक है, बल्कि उनका रंग-रूप भी बिल्‍कुल एक जैसा है. IL-96-300PU मॉडल के इन दोनों एयरक्राफ्ट में राष्‍ट्रपति पुतिन अपने करीबी सहयोगियों के साथ सफर कर रहे है.
लेकिन जब सवाल यह आता है, राष्‍ट्रपति पुलिस किस एयरक्राफ्ट में हैं, तो इसका जवाब या तो खुद राष्‍ट्रपति पुतिन के पास है या फिर उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास. दरअसल, राष्‍ट्रपति पुतिन के लिए एक जैसे दो एयरक्राफ्ट रूस की सुपर सीक्रेट सिक्योरिटी की ट्रिक है, जिसे दुनिया ‘डिकॉय फ्लाइट’ कहा जाता है. मतलब एक असली एयरक्राफ्ट और एक नकली (डिकॉय). दोनों एक साथ उड़ते हैं, कभी एक का रडार सिग्नल बंद, कभी दूसरे का. बीच-बीच में दोनों गायब भी हो जाते हैं. रूस की सिक्‍योरिटी एजेंसी ने हाल में यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध और यूरोपीय देशों की नाराजगी को देखते हुए लिया है.

शायद यही वजह है कि जब रूसी प्रेसीडेंड के प्‍लेन कजाकिस्‍तान के आसमान में दाखिल हुए तो दोनों एयरक्राफ्ट के बीच डिकॉय ड्रिल शुरू कर दी थी. फ्लाइट ट्रैकर में कजाकिस्तान के ऊपर दो प्‍लेन एक ही रास्ते पर एक ही स्पीड से बस थोड़े फासले में नजर आ रहे थे. एक का नाम RSD221 जबकि दूसरे का RSD369. अब यह जानना बेहद मुश्किल है कि किस प्‍लेन में पुतिन हैं.

क्‍या है राष्‍ट्रपति पुतिन के IL-96 एयरक्राफ्ट की खासियत?
रूस के पास ऐसे चार खास IL-96 एयरक्राफ्ट हैं. ये कोई आम एयरक्राफ्ट नहीं, उड़ता हुआ क्रेमलिन है. अंदर बैठकर पुतिन दुनिया के किसी भी कोने से रूस की न्यूक्लियर ताकत को कंट्रोल कर सकते हैं. इसमें सैटेलाइट फोन, जामिंग सिस्टम, मिसाइल से बचाने वाला खास उपकरण सब कुछ लगा है. एक बार फ्यूल टैंक फुल हुआ तो 13 हजार किलोमीटर तक बिना रुके उड़ सकता है. मतलब मॉस्को से दिल्ली आते वक्त बीच में कहीं लैंड करने की जरूरत ही नहीं है.

नई नहीं है डबल शील्ड प्रोटोकॉल की ड्रिल
ये ट्रिक नई नहीं है. इससे पहले भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा के लिए रूसी सुर‍क्षा एजेंसियां ‘डबल शील्ड प्रोटोकॉल’ का इस्‍तेमाल करती रही हैं. मतलब अगर कोई ड्रोन या मिसाइल हमला करना चाहे, तो पहले ये पता करना पड़ेगा कि असली पुतिन वाला एयरक्राफ्ट कौन सा है. और ये पता करना नामुमकिन है, क्योंकि दोनों एयरक्राफ्ट हर कुछ मिनट में अपना सिग्नल ऑन-ऑफ करते रहते हैं. रडार पर कभी एक दिखता है, कभी दूसरा, कभी दोनों गायब.

सारांश:
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान उनके विमान IL-96 ने सुरक्षा के लिहाज से खास रणनीति अपनाई। VVIP सुरक्षा के तहत डिकॉय (डमी) विमानों का इस्तेमाल किया गया, ताकि असली विमान को किसी भी खतरे से बचाया जा सके। इस ‘डबल सिक्योरिटी गेम’ ने दिखाया कि अंतरराष्ट्रीय नेताओं की सुरक्षा के लिए कितनी विस्तृत तैयारियां की जाती हैं।

Bharat Baani Bureau

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