17 मई 2024 : एम.पी. रवनीत बिट्टू के बिना अलॉटमेंट 8 साल तक सरकारी कोठी में रहने के मामले में नगर निगम के साथ डी.सी. आफिस की भी लापरवाही सामने आई है। मिली जानकारी के मुताबिक बिट्टू द्वारा सुरक्षा कारणों के चलते कोठी के लिए किया गया आवेदन नगर निगम के जनरल हाउस द्वारा रद्द कर दिया गया था जिसके बाद नगर निगम द्वारा रोज गार्डन के नजदीक स्थित इस कोठी को डी.सी. पूल में ट्रांसफर कर दिया गया।
हालांकि डी.सी. आफिस द्वारा यह कोठी अलॉट करने के लिए जनरल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग को सिफारिश भेजी गई, लेकिन वहां से यह प्रस्ताव रद्द कर दिया गया। इसकी सूचना डी.सी. आफिस द्वारा नगर निगम द्वारा नहीं दी गई और न ही नगर निगम द्वारा कभी इस कोठी के किराए की वसूली के लिए डी.सी. आफिस के साथ संपर्क किया गया जिसका खुलासा बिट्टू द्वारा लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने के लिए एन.ओ.सी. लेने के लिए अप्लाई करने के दौरान हुआ है, जब नगर निगम ने कोठी डी.सी. पूल में ट्रांसफर होने की बात कही तो डी.सी. आफिस द्वारा कोठी की कभी अलॉटमेंट ही न करने का दावा किया गया जिसके आधार पर नगर निगम द्वारा 8 साल से अवैध रूप से कोठी में रहने के आरोप में बिटटू से पेनल्टी के साथ 1.84 करोड की वसूली की गई है।
अब चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार
बिट्टू द्वारा नामांकन दाखिल करने के लिए जरूरी एन ओ सी जारी करने में हुई देरी को लेकर की गई शिकायत के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा जो रिपोर्ट मांगी गई थी, वो जिला प्रशासन व नगर निगम की तरफ से भेज दी गई है। मिली जानकारी के मुताबिक इस रिपोर्ट में जहां एन ओ सी जारी करने में हुई देरी को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप में नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है वहीं, बिटटू के बिना अलॉटमेंट 8 साल तक सरकारी कोठी में रहने के घटनाक्रम का भी जिक्र किया गया है। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान नगर निगम के अफसरों द्वारा किराया वसूले बिना बिटटु को एन ओ सी जारी करने का पहलू भी मुख्य रूप से शामिल है, जिसे लेकर अब चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।