नई दिल्ली 02 सितम्बर 2024 . नीतेश कुमार ने पैरालंपिक गेम्स 2024 में अपने सपने को साकार करते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया है. यह पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का दूसरा गोल्ड है. नीतेश के ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत भारत ने मेडल टैली में 8 स्थान की लंबी छलांग लगाई है. भारत इसके साथ ही मेडल टैली में 22वें नंबर पर पहुंच गया है. भारत ने अब तक गेम्स में 2 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. भारत के लिए पैरालंपिक गेम्स 2024 में पहला गोल्ड पैरा शूटर अवनी लेखरा ने जीता था.

नीतेश कुमार ने पैरालंपिक गेम्स 2024 में पुरुषों के एसएल-3 कैटेगरी का गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथल को हराया. नीतेश कुमार और डेनियल बेथल के बीच रोमांचक मुकाबले में एक-एक अंक के लिए कड़ी मशक्कत हुई. अंत में यह मुकाबला 21-14, 18-21, 23-21 से नीतेश कुमार के नाम रहा.

मैच का पहला गेम नीतेश ने जीता तो दूसरा गेम डेनियल के नाम रहा. तीसरे और निर्णायक गेम में एक समय स्कोर 19-19 था. इसके बाद नीतेश ने 20वां पॉइंट जीता. उनके पास मैच पॉइंट था लेकिन वे फायदा नहीं उठा सके. दूसरी ओर डेनियल ने लगातार दो पॉइंट जीतकर 21-20 की बढ़त बना ली. अब डेनियल गोल्ड से एक अंक दूर थे, लेकिन नीतेश ने फिर वापसी की. उन्होंने एक अंक जीतकर स्कोर फिर बराबर (21-21) कर दिया. नीतेश ने इसके बाद एक और अंक जीता. अब स्कोर 22-21 से उनके पक्ष में थे. उनके पास मैच पॉइंट था. इस बार नीतेश ने कोई गलती नहीं की और मैच पॉइंट जीतकर स्कोर 23-21 कर दिया. इस तरह उन्होंने तीसरा गेम और मैच अपने नाम कर लिया. नीतेश का पैरालंपिक गेम्स में पहला गोल्ड है.

15 साल की उम्र में हादसे में गंवा दिया था पैर
नीतेश कुमार पैरालंपिक गेम्स में गोल्ड जीतकर आज भले ही खेलजगत पर छा गए हों, लेकिन इस कामयाबी को हासिल के पीछे उनका जो संघर्ष है, उसे कम ही लोग जानते हैं. नीतेश जब 15 साल के थे तब 2009 में ट्रेन हादसे में उन्होंने अपना पैर खो दिया था. बिस्तर पर पड़े रहने के कारण वह काफी निराश हो चुके थे.

पिता की तरह नेवी में जाना चाहते थे
नीतेश के पिता नौसेना में अधिकारी हैं. नीतेश का सपना भी कभी पिता की तरह नेवी की वर्दी पहनना था. लेकिन एक हादसे ने उनका यह सपना तोड़ दिया. लेकिन नीतेश हारे नहीं. वे लड़े. मुश्किलों से लड़े. पढ़ते भी रहे. आईआईटी-मंडी में पढ़ाई के दौरान उन्हें पैरा बैडमिंटन की जानकारी मिली. फिर तो यह खेल उनकी ताकत का स्रोत बन गया. आज इसी खेल ने उनका नाम देशभर में घर-घर तक पहुंचा दिया है.

टोक्यो पैरालंपिक में भी भारत ने ही जीता था गोल्ड
नीतेश कुमार की जीत के साथ एसएल3 कैटेगरी का गोल्ड मेडल भारत के पास ही बरकरार रहा. टोक्यो पैरालंपिक में प्रमोद भगत ने इस इवेंट का गोल्ड जीता था. बता दें कि एसएल3 कैटेगरी के खिलाड़ियों के शरीर के निचले हिस्से में गंभीर समस्या होती है. एसएल3 कैटेगरी के मैच आधी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खेले जाते हैं.

Bharat Baani Bureau

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