न्यूयॉर्क की एक अदालत में अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी और सात अन्य पर 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 2,029 करोड़ रुपये) की रिश्वत देकर आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों से अनुबंध हासिल करने का आरोप लगा है। इसके बाद आंध्र प्रदेश सरकार अनुबंधों की समीक्षा कर रही है और सौदा रद्द करने की संभावनाएं तलाश रही है।
आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान हस्ताक्षर किए गए अनुबंधों से जुड़ी “सभी आंतरिक फाइलों की जांच” की जा रही है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि अनुबंध रद्द करने की संभावना है या नहीं।
अमेरिका में अदाणी और सहयोगियों पर आरोप है कि 2021 से 2024 के बीच ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी गई। इस राशि में से 228 मिलियन अमेरिकी डॉलर (1,750 करोड़ रुपये) आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों को सौर ऊर्जा खरीद के लिए प्रभावित करने में खर्च किए गए।
अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने आरोप लगाया है कि अगस्त 2021 में गौतम अदाणी और तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के बीच बैठक के दौरान समझौते को सुरक्षित करने के लिए “प्रोत्साहन” पर चर्चा हुई थी। इसके बाद 7 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने का समझौता हुआ, जो किसी भी राज्य द्वारा किया गया सबसे बड़ा समझौता था।
हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी किसी भी अनियमितता से इनकार किया है और दावा किया है कि उनकी सरकार का अदाणी समूह के साथ कोई सीधा समझौता नहीं था।