08 अप्रैल 2025 (भारत बानी ब्यूरो): मुंबई में 2019 के करण ओबेरॉय रेप केस में एक बड़ा अपडेट आया है। खबर है कि मुंबई की सेशंस कोर्ट ने अभिनेत्री पूजा बेदी और सात अन्य लोगों के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई को रोकने से इनकार कर दिया है। ये मामला एक रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने से जुड़ा है। अंधेरी की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पूजा बेदी, अनवेशी जैन, चैतन्य भोसले, वर्के पटानी, गुरबानी ओबेरॉय, शेरिन वर्गीज, सुधांशु पांडे और वकील दिनेश तिवारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। आरोप है कि इन लोगों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीड़िता की निजी जानकारी सार्वजनिक की, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन है। ये धारा रेप पीड़ितों की पहचान छुपाने की बात कहती है ताकि उनकी गरिमा और निजता बची रहे।
कोर्ट ने क्या कहा?
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने साफ किया कि अगर एक या उससे ज्यादा लोगों ने पीड़िता का नाम लिया तो सभी को जिम्मेदार माना जाएगा। वहीं, बचाव पक्ष का दावा था कि उनकी मंशा गलत नहीं थी और आरोप सामान्य हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे ट्रायल के दौरान साबित करने को कहा।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
पुलिस जांच के अनुसार ये प्रेस कॉन्फ्रेंस 5 मई 2019 को पूजा बेदी के घर पर हुई थी। इसमें करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप की शिकायत करने वाली महिला का नाम और दूसरी संवेदनशील जानकारी कथित तौर पर सबके सामने रखी गई। पुलिस का कहना है कि इस कॉन्फ्रेंस का वीडियो कई प्लेटफॉर्म पर फैल गया और आज भी ऑनलाइन उपलब्ध है। इसके बाद 26 फरवरी 2021 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
बचाव पक्ष ने दी थी ये दलील
अप्रैल 2022 में पूजा बेदी और बाकी आरोपियों ने सेशंस कोर्ट में अपील की थी। उनका कहना था कि सभी की मंशा एक जैसी नहीं थी और हर किसी ने पीड़िता की जानकारी उजागर नहीं की। उन्होंने दावा किया कि इसमें कोई ‘साझा इरादा’ या ‘गलत मंशा’ नहीं थी। लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और कहा कि ये बातें सुनवाई के दौरान साबित करने को कहा।
सारांश: मुंबई कोर्ट ने पूजा बेदी और सात अन्य के खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी रखने का आदेश दिया है, जो करण ओबेरॉय के बलात्कार मामले से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?