02 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – जिस हवाई पट्टी का इस्तेमाल कर भारतीय सेना ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के शौर्य दिखाया था उसे कुछ लोगों ने दस्तावेजों में हेर-फेर कर बेच दिया।
फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव स्थित हवाई पट्टी की भूमि के बेचे जाने के मामले की शिकायत सेना की ओर से आयुक्त को की गई। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक को आदेश दिया है। साथ ही फिरोजपुर के डीसी पर कड़ी टिप्पणी करते हुए इस मामले में अधिकारी की ढि़लाई को अक्षम्य बताया।
निशान सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए मामले की सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि फत्तूवाला गांव की जिस जमीन का अधिग्रहण भारत सरकार ने 1937-38 में किया था और जो अब तक भारतीय सेना के नियंत्रण में थी। इसके बाद 1997 में पांच बिक्री विलेखों के माध्यम से कथित रूप से राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी करके उसे बेच दिया गया। निजी व्यक्तियों के नाम 2009-10 के राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि को दर्ज कर दिया। इस दौरान भारतीय सेना ने कभी भी इस जमीन का कब्जा किसी अन्य को नहीं सौंपा। इस गंभीर मामले में फिरोजपुर कैंट के प्रशासनिक कमांडेंट ने संबंधित आयुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डीसी पर की तीखी टिप्पणी
हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की निष्क्रियता पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्र की रक्षा से जुड़ी भूमि के मामले में फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा दिखाई गई चौंकाने वाली ढिलाई अक्षम्य है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की संप्रभुता की रक्षा में तैनात सेना को राज्यपाल तक गुहार लगानी पड़ी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तो सरकार को खुद से आगे आकर फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए थी, जो अभी तक नहीं किया गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि फत्तूवाला में स्थित यह भूमि उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के रूप में सेना द्वारा अब भी इस्तेमाल की जा रही है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोप बेहद गंभीर हैं जिनकी गहन जांच जरूरी है। कोर्ट ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक को निर्देश दिया है कि वे स्वयं आरोपों की सच्चाई की जांच करें। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपों में सत्यता मिले तो आवश्यक कार्रवाई की जाए। अब मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी और विजिलेंस को हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
सारांश: फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव की जमीन का अधिग्रहण 1937-38 में भारत सरकार ने किया था। यह जमीन अब तक सेना के नियंत्रण में थी। 1997 में इसके राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी करके उसे बेच दिया गया। अब मामला हाईकोर्ट पहुंचा है।