30 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) पीरियड्स के न आने या ग़ायब हो जाने की स्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है. एमेनोरिया के कई कारण हो सकते हैं.

पीरियड्स नहीं आने का एक कारण गर्भावस्था हो सकता है लेकिन इसके अलावा भी इसकी कई वजहें हो सकती हैं.

आमतौर पर प्रजनन आयु की महिलाओं में माहवारी सामान्य तौर पर 28 दिनों में आती है. हालांकि ये आम है कि इससे कुछ दिन पहले या कुछ दिन बाद भी माहवारी शुरू हो सकती है.

कभी-कभार पीरियड्स न आना गंभीर समस्या नहीं माना जाता, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर यह बार-बार हो रहा हो तो यह किसी दूसरी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमीरा अल्कोर्डिन मार्टिनेज़ ने बीबीसी से कहा, “आपको खुद को और अपने शरीर को समझना होगा, ताकि आपको पता चल सके कि क्या ऐसा है जो सही नहीं है. हर महिला का शरीर पूरी तरह से अलग तरीके से काम करता है. कोई भी दो महिला एक जैसी नहीं होती हैं.”

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है, “यदि कोई महिला गर्भवती नहीं हैं और उन्हें लगातार तीन महीने पीरियड नहीं आया है या 45 साल की उम्र से पहले पीरियड आना बंद हो गया हो तो उन्हें डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.”

अमेरिका की मेयो क्लीनिक भी उन लड़कियों के लिए स्वास्थ्य जांच की सलाह देती है, जिन्हें 15 साल की उम्र होने तक भी पीरियड आने की शुरुआत नहीं हुई है.

इन दोनों ही संस्थानों के अनुसार, गर्भावस्था को छोड़कर एमेनोरिया के आठ कारण हो सकते हैं.

1. तनावडॉक्टर अमीरा कहती हैं, “तनाव सबसे अहम वजह हो सकता है. तनाव हमारे समय में एक महामारी की तरह है.”

तनाव से हमारे शरीर में एड्रेनलिन जैसे हार्मोन तेज़ी से बढ़ जाते हैं, जिससे वह किसी भी संभावित ख़तरे से बचाने के लिए शरीर को सतर्क अवस्था में ले आता है.

इन हार्मोन्स के लंबे समय तक प्रभाव में रहने की वजह से पीरियड्स साइकल प्रभावित हो सकता है. कभी-कभी पीरियड्स नहीं आता या पीरियड्स के दौरान दर्द ज़्यादा हो सकता है.

वहीं कुछ मामलों में, तनाव के कारण महिलाओं को एक पीरियड्स साइकिल (चार सप्ताह का चक्र) में दो बार भी पीरियड आ सकते हैं.

अगर पीरियड के न आने की वजह तनाव है तो एनएचएस इसके उपाय के तौर पर नियमित एक्सरसाइज़ करने या सांस संबंधी प्रैक्टिस की सलाह देती है. अगर ये तरीके कारगर न हों तो कॉग्निटिव बिहेवरियल थेरेपिज़ (सीबीटी) तनाव और घबराहट से लड़ने में मदद कर सकती हैं.

2. अचानक वजन कम होना

अगर शरीर में कैलोरी की मात्रा अत्यधिक कम कर दी जाए तो शरीर में ओव्यूलेशन (अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया) के लिए आवश्यक हार्मोन का उत्पादन रुक सकता है.

एक रजिस्टर्ड न्यूट्रिशनिस्ट (आहार विज्ञानी) इससे प्रभावित लड़कियों और महिलाओं की वजन बढ़ाने में मदद कर सकता है.

वहीं अगर वजन कम होने की वजह, खाने के डिसऑर्डर से जुड़ा है तो इसमें मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए.

3. वजन ज़्यादा होना या मोटापावजन ज़्यादा होने से शरीर में अत्यधिक इस्ट्रोजन रिलीज़ होता है. ये उन हार्मोन में से एक है जो महिलाओं के रिप्रोडक्शन सिस्टम को नियंत्रित करते हैं.

इस्ट्रोजन के स्तर में किसी तरह की बढ़ोतरी मासिक धर्म की नियमितता को प्रभावित कर सकती है और कुछ मामलों में पीरियड्स पूरी तरह बंद भी हो सकते हैं.

जो महिलाएं एमेनोरिया का अनुभव कर रही हैं और जिनका वजन अधिक है या बॉडी मास इंडेक्स 30 से ऊपर है, उन्हें डॉक्टर अक्सर आहार विज्ञानी (न्यूट्रिशनिस्ट) से सलाह लेने को कहते हैं ताकि वे हेल्दी वज़न हासिल कर पाएं.

Bharat Baani Bureau

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