03 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामले हाल के दिनों में तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। ऑफिस में बैठे-बैठे, काम करते हुए, शादी में डांस करते और बैठकर बात करते-करते हार्ट अटैक से मौत की कई खबरें आपने भी जरूर सुनी-पढ़ी होगीं।
इसी तरह का एक और मामला सामने आया है, जिसने हृदय स्वास्थ्य से संबंधित बढ़ते खतरे को लेकर लोगों को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगरा में 75 वर्षीय बुजुर्ग, डॉक्टर के पास इलाज के लिए गए थे, वहीं पर उन्हें हार्ट अटैक आ गया। हालांकि डॉक्टर ने मामले को समझते हुए तुरंत सीपीआर देकर उनकी जान बचा ली। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
हार्ट अटैक के बाद तुरंत सीपीआर देकर मरीज की जान बचाने वाले डॉक्टर की जमकर तारीफ की जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से दिल के दौरे की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में सभी लोगों को सीपीआर देने के तरीके को जरूर जानना चाहिए, ये जीवन रक्षक उपाय हो सकता है।क्रिकेट खेलते हुए हार्ट अटैक
हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों ने डराया
सीपीआर कैसे दिया जाता है, किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? ये जानने से पहले हार्ट अटैक के कुछ हालिया मामलों पर नजर डालते हैं।
- पिछले हफ्ते ही पंजाब के फिरोजपुर में क्रिकेट खेलते हुए हार्ट अटैक का मामला सामने आया था। वीडियो में एक बल्लेबाज क्रिकेट मैच के दौरान छक्का मारने के बाद तुरंत जमीन पर बैठ जाता है। उसे बेहोश होते देख बाकी खिलाड़ी उसकी मदद के लिए दौड़े और सीपीआर देने की कोशिश की। हालांकि तब तक उसकी मौत हो गई थी।
- जून 2024 में मुंबई में भी ऐसी ही घटना हुई थी, जहां क्रिकेट मैच के दौरान 42 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हार्ट अटैक के तुरंत बाद पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था।
- इसी तरह एक अन्य मामले में बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेटर तमीम इकबाल को भी एक मैच के दौरान हार्ट अटैक हुआ, तुरंत उपचार मिलने के कारण वह फिलहाल ठीक हैं।
क्या कहते हैं हृदय रोग विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हार्ट अटैक के केस जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में जीवनरक्षक उपाय सीपीआर के बारे में जानना सभी के लिए आवश्यक है। अगर तुरंत मरीज को सीपीआर दे दिया जाए तो मौत के खतरे को कम किया जा सकता है।
अमर उजाला से बातचीत के दौरान ओपोलो हॉस्पिटल में कार्डियोवस्कुलर सर्जन डॉ निरंजन हिरेमथ ने बताया, हार्ट अटैक की स्थिति में ‘गोल्डन टाइम’ बहुत महत्वपूर्ण है। ये दिल का दौरा पड़ने के बाद के पहले 60 मिनट होते हैं, जिसमें तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण होता है।
हार्ट अटैक-कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में लक्षणों की समय पर पहचान कर तुरंत सीपीआर देने से जान बचने की संभावना 60-70 फीसदी तक बढ़ जाती है।
सीपीआर होता क्या है? क्या हैं इसके लाभ
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवनरक्षक तकनीक है जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। सांस या दिल की धड़कन रुक जाने की स्थिति में रोगी को तुरंत सीपीआर देने की सलाह दी जाती है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञ कहते हैं, हार्ट अटैक की स्थिति में छाती को सही गति से दबाने की यह प्रक्रिया रक्त के संचार को ठीक रखने में मददगार हो सकती है। इससे दिल को फिर से रक्त का संचार मिलने लगता है और जान बच सकती है। आ
इए जानते हैं कि सीपीआर को कैसे प्रयोग में लाया जाना चाहिए?
सीपीआर देने का तरीका क्या है?
डॉ निरंजन बताते हैं कि हार्ट अटैक के मरीजों को बिना देर किए सीपीआर दिया जाना चाहिए।
इसके साथ मरीज के सांस और नाड़ी को चेक करते रहे और बार-बार सीपीआर देते रहें, जब तक कि धड़कन चलने न लगे। उसे तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में न पहुंचा दिया जाए।
इसके लिए सबसे पहले रोगी के कपड़े और बेल्ट ढीला कर दें और सीपीआर देते समय एक मिनट में कम से कम 100-120 बार पंप करें।
हमेशा सीधे हाथ से सीपीआर दें, कोहनी मुड़नी नहीं चाहिए। त्वरित उपचार के रूप में रोगी को एक डिस्प्रिन की गोली लें और मुंह में रखें, ये गोली खुद ही घुल जाती है।