23 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : क्या इंडिगो को तुर्की से वेट लीज में मिले एयरक्राफ्ट्स को बार फिर एक्सटेंशन मिलने जा रहा है? बीते कई दिनों यह सवाल एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े हर शख्स की जुबान पर है. इस सवाल की बड़ी वजह यह भी है कि तुर्की वही देश है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की नकेवल खुलकर खिलाफत की थी, बल्कि पाकिस्तान को सैन्य मदद के साथ ड्रोन मुहैया कराए थे. तुर्की से मिले इन्हीं ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए किया था.
इसके बाद, पूरे देश में तुर्की को लेकर जबरदस्त गुस्सा था और सभी ने अपने-अपने स्तर पर तुर्की का बहिष्कार किया था. इसी कड़ी में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट सहित कई एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी चेलबी का लाइसेंस भी खत्म किया गया था. तब इंडिगो और तुर्की एयरलाइंस के बीच के रिश्तों की भी बात हुई थी. तुर्की की कई ऐसी एयरलाइंस हैं, जिसने इंडिगो एयरलाइंस को वेट लीज पर अपने एयरक्राफ्ट्स दे रखे हैं.
उस समय इंडिगो पर भी यह दबाव था कि वह भी तुर्की की एयरलाइंस के साथ अपने संबंध खत्म करें. लेकिन, इंडिगो ने यह कह कर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) से छह महीने का एक्सटेंशन ले लिया था कि फरवरी 2026 तक लंबी दूरी के नए प्लेन्स A321-XLR की डिलीवरी मिल जाएंगे, जिसके बाद उसे विदेशी प्लेन्स को लीज में लेने की जरूरत नहीं होगी. इसी तर्क के आधार पर डीजीसीए ने इंडिगो को वेट लीज जारी रखने की इजाजत दे दी थी.
क्या डीजीसीए से इंडिगो को मिली एक्सटेंशन की इजाज?
डीजीसीए ने इंडिगो को यह साफ भी कर दिया था कि यह अंतिम एक्सटेंशन है, अब इस एक्सटेंशन का समय मार्च 2026 में पूरा होने वाला है. साथ ही, दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह में इंडिगो के क्रू और फ्लीट के बीच जिस तरह का डिस्बैलेंस नजर आया, हजारों की संख्या में फ्लाइट कैंसल हुईं, उसको देखने के लिए यह सवाल खड़े होने लगे कि क्या आने वाले दिन इंडिगो और उसके पैसेंजर्स के लिए मुसीबत भरे हो सकते हैं.
यहीं से अटकलों का दौर शुरू हुआ कि क्या इसी मुसीबत के नाम पर डीजीसीए एक बार फिर इंडिगो को तुर्की की एयरलाइंस के साथ हुई वेट लीज को आगे बढ़ाने की इजाजत दे देगी. इसी सवाल के साथ लोगों के जहन में वेट लीज और ड्राई लीज को लेकर जिज्ञासा खासी बढ़ गई. आइए आपको अब बताते हैं कि क्या होता है वेट और ड्राई लीज. साथ ही किस एयरलाइंस के पास इस लीज के तहत कितने एयरक्राफ्ट हैं और वह लीज कब तक के लिए है.
क्या है वेट लीज?
वेट लीज का मतलब होता है कि जब कोई एयरलाइन किसी दूसरे देश या दूसरी एयरलाइन से पूरा पैकेज किराए पर लेती है. इसमें प्लेन के साथ-साथ क्रू (पायलट और केबिन क्रू), मेंटेनेंस और इंश्योरेंस भी शामिल होता है. आसान भाषा में कहें तो एयरलाइन सिर्फ प्लेन नहीं, बल्कि टेकऑफ के लिए रेडी एयरक्राफ्ट किराए पर लेती है. वेट लीज आमतौर पर तब ली जाती है, जब किसी एयरलाइन के पास अचानक प्लेन्स की कमी हो जाए, पीक सीजन में ज्यादा फ्लाइट्स की जरूरत हो या फिर अपने प्लेन्स की मेंटीनेंस के चलते कैपेसिटी घट जाए.
क्या है ड्राई लीज?
ड्राई लीज में सिर्फ प्लेन किराए पर लिया जाता है. प्लेन उड़ाने के लिए पायलट, केबिन क्रू, मेंटेनेंस और इंश्योरेंस की जिम्मेदारी उस एयरलाइन की होती है जिसने प्लेन किराये पर लिया है. ड्राई लीज लंबी अवधि के लिए होती है और इसे एयरलाइन अपने फ्लीट का हिस्सा मानकर ऑपरेट करती है. भारत में ज्यादातर एयरलाइंस ड्राई लीज मॉडल को ही प्राथमिकता देती हैं.
इंडिगो एयरलाइन के पास कितने हैं वेट लीज प्लेन?
भारत में सबसे ज्यादा वेट लीज्ड एयरक्राफ्ट इंडिगो के पास हैं. डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल इंडिगो के पास कुल 23 वेट लीज वाले एयरक्राफ्ट हैं. हालांकि इन 23 में फिलहाल 15 ऑपरेशनल हैं और 8 एयरक्राफ्ट को अभी तक इंडक्ट नहीं किया गया है. इंडिगो के पास वेट लीज पर जो एयरक्राफ्ट हैं, उनमें बोइंग 777, बोइंग 787, बोइंग 737, एयरबस A-320 और एयरबस A-321 भी शामिल हैं.
- एयरलाइंस का नाम: तुर्किश एयरलाइंस
देश: तुर्की
एयरक्राफ्ट: बी777
एयरक्राफ्ट की संख्या: 02
अवधि: 28.02.2026 तक वैध (अगस्त 2025 में 6 महीने का विस्तार दिया गया है.) - एयरलाइंस का नाम: नॉर्स अटलांटिक एयरवेज
देश: नॉर्वे
एयरक्राफ्ट: बी787
एयरक्राफ्ट की संख्या: 5+1
अवधि: एक विमान जनवरी 2026 में शामिल करने का प्रस्ताव - एयरलाइंस का नाम: स्मार्टलिंक्स एयरलाइंस
देश: लातविया
एयरक्राफ्ट: ए320
एयरक्राफ्ट की संख्या: 1
अवधि: मार्च 2026 तक - एयरलाइंस का नाम: कतर एयरवेज
देश: कतर
एयरक्राफ्ट: ए321
एयरक्राफ्ट की संख्या: 2+2
अवधि: दो प्लेन दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में आएंगे. - एयरलाइंस का नाम: कोरेंडन एयरलाइंस
देश: तुर्की
एयरक्राफ्ट: बी737
एयरक्राफ्ट की संख्या: 5
अवधि: 31.03.2026 तक - एयरलाइंस का नाम: फ्रीबर्ड एयरलाइंस
देश: तुर्की
एयरक्राफ्ट: ए320
एयरक्राफ्ट की संख्या: 5
अवधि: 5 विमान अभी शामिल किए जाने बाकी हैं
इंडिगो के अलावा किसी दूसरी एयरलाइन के पास भी है वेट लीज एयरक्राफ्ट्स
ऐसा नहीं है कि भारत में सिर्फ इंडिगो एयरलाइंस के ही पास लीज्ड एयरक्राफ्ट हैं. इंडिगो के अलावा स्पाइसजेट के पास भी बड़ी तादाद में लीज एयरक्राफ्ट हैं. ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट्स की बात करें तो स्पाइसजेट के पास इंडिगो से ज्यादा लीज्ड एयरक्राफ्ट हैं. डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, स्पाइसजेट के पास फिलहाल 17 लीज्ड एयरक्राफ्ट हैं और सभी के सभी ऑपरेशन हैं.
- एयरलाइंस का नाम: स्मार्टविंग्स
देश: चेक गणराज्य
एयरक्राफ्ट: बी737
एयरक्राफ्ट की संख्या: 05
अवधि: मई 2026 तक - एयरलाइंस का नाम: फ्लाई4 एयरलाइन
देश: आयरलैंड
एयरक्राफ्ट: बी737
एयरक्राफ्ट की संख्या: 03
अवधि: मई 2026 तक - एयरलाइंस का नाम: कोरेंडन एयरलाइन यूरोप
देश: माल्टा
एयरक्राफ्ट: बी737
एयरक्राफ्ट की संख्या: 05
अवधि: मार्च 2026 तक - एयरलाइंस का नाम: असेंड एयरवेज
देश: यूके
एयरक्राफ्ट: बी737
एयरक्राफ्ट की संख्या: 03
अवधि: अप्रैल 2026 तक - एयरलाइंस का नाम: लीजेंड एयरलाइंस
देश: रोमानिया
एयरक्राफ्ट: A340
एयरक्राफ्ट की संख्या: 01
अवधि: दिसंबर 2025 तक
इंडिगो के वेट लीज्ड एयरक्राफ्ट को लेकर ही क्यों है बवाल?
एयरक्राफ्ट की वेट लीज एविएशन इंडस्ट्री की बेहद सामान्य प्रक्रिया है और नियमों के तहत कोई भी एयरलाइंस वेट लीज पर एयरक्राफ्ट विदेशी एयरलाइंस से ले सकती है. इंडिगो और स्पाइसजेट ने भी उन्हीं नियमों के तहत एयरक्राफ्ट लीज पर लिए हैं. यहां पर समस्या पाकिस्तान के मददगार तुर्की के साथ संबंधों को लेकर है. स्पाइसजेट के पास जितने भी एयरक्राफ्ट हैं, उनमें से एक भी तुर्की का नहीं है. वहीं, इंडिगो के पास तुर्की के 12 एयरक्राफ्ट हैं, जिसमें सात एयरक्राफ्ट ऑपरेशनल हैं. डीजीसीए ने इन एयरक्राफ्ट्स के लिए सिर्फ मार्च 2026 तक के लिए ही अनुमति दी है.
क्या भारतीय एविएशन इंडस्टी पर भी पड़ रहा है इसका असल?
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस पूरे विवाद की जड़ बाइलेट्रल एयर सर्विस एग्रीमेंट है. वेट लीज के जरिए विदेशी क्रू और प्लेन भारत के ट्रैफिक राइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो लंबे समय तक सही नहीं माना जा सकता. वेट लीज केवल अस्थायी समाधान होना चाहिए, न कि स्थायी बिजनेस मॉडल. इसी वजह से इंडिगो को साफ तौर पर बता दिया गया है कि मार्च 2026 के बाद तुर्की से लिए गए प्लेन्स के लिए कोई और एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा. डर इस बात का भी है कि अगर वेट लीज को ज्यादा बढ़ावा दिया गया, तो भारतीय पायलटों, केबिन क्रू और मेंटेनेंस स्टाफ के लिए मौके कम हो सकते हैं. इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा और रेगुलेटरी नियंत्रण जैसे मुद्दे भी इससे जुड़े हुए हैं.
आने वाले दिनों में पैसेंजर्स के लिए पैदा हो सकती है मुसीबत
एयरलाइंस सूत्रों के अनुसार, प्लेन्स की डिलीवरी में देरी, इंजन की समस्या और ग्लोबल सप्लाई चेन संकट के चलते वेट लीज मजबूरी बन गई है. उनके मुताबिक, अगर वेट लीज की अनुमति नहीं दी गई तो फ्लाइट्स की संख्या में कटौती करनी पड़ेगी, जिसका सीधा असर पैसेंजर्स पर पड़ेगा. वहीं पैसेंजर्स के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे टिकट महंगे होंगे या फ्लाइट्स कम होंगी. फिलहाल सरकार और एयरलाइंस दोनों यह भरोसा दिला रहे हैं कि पैसेंजर्स की सुविधा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
