पिछले 4 वर्षों से अपने खेतों में बहाई कर करते हैं पराली की संभाल
होशियारपुर, 6 मार्च (भारत बानी) : होशियारपुर ब्लाक भूंगा के गांव खियाला बुलंदा के किसान सुखप्रीत सिंह एक प्रगतिशील किसान है और करीब 80 एकड़ में खेती करते हैं। सुखप्रीत सिंह बताते हैं कि वे 15-18 एकड़ में गेहूं व धान की बिजाई व बाकी जमीन में कमाद, मटर व सरसों की बिजाई करते हैं और पिछले 4 वर्षों से पराली की संभाल वे खेतों में बहाई कर ही करते हैं। उन्होंने बताया कि वे अन्य किसानों के खेतों में भी पराली की संभाल में योगदान देते हैं व मल्चर, सुपर सीडल आदि मशीनरी किसानों को किराए पर उपलब्ध करवाते हैं।
डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल ने पुराने खेती ढंगों से बाहर निकलकर आधुनिक खेती की राह पर चले प्रगतिशील किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वातावरण की संभाल के लिए किसान सुखप्रीत सिंह की ओर से किया जा रहा प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि जिले के बाकी किसानों को भी फसलों के अवशेषों को आग न लगाकर खेतों में ही प्रबंधन करना चाहिए व प्रबंधन के लिए कृषि विभाग के सहयोग से आधुनिक मशीने किराए पर प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि किसान गेहूं के नाड़ को आग न लगाकर धान व अन्य फसलों की बिजाई करने के लिए आगे आएं, ताकि खेती खर्चे घटाने के साथ-साथ वातावरण व पानी की बचत की जा सके। उन्होंने कहा कि जमीन की उपजाऊ शक्ति व वातावरण की शुद्धता बरकरार के लिए अवशेषों को आग न लगाना समय की मुख्य जरुरत है।
सुखप्रीत ने बताया कि पिछले वर्ष उसकी ओर से 160 एकड़ में सुपर सीडर से पराली को खेतों में मिलाया गया। उनके अनुसार सुपर सीडर के साथ बिना बहाई किए गेहूं की बिजाई बहुत ही आसान तरीके से कम लागत में हो जाती है, जिससे समय व पैसे की बचत बड़ी आसानी से हो जाती है, पराली जमीन में मिलाने से जमीन मुलायम हो जाती है व जैविक मादे में बढ़ोतरी हो जाती है। इस तकनीक से खेत में नदीनों की समस्या नाममात्र के बराबर देखने को मिलती है व नदीन नाशक का खर्चा भी बहुत कम होता है। उन्होंने बताया कि कमाद की फसल की खोरी की गांठे बना कर उसको जलाने की बजाए अन्य उद्योगों को बेचकर वह मुनाफा कमाता है। उन्होंने किसानों को संदेश दिया कि पराली को जमीन में संभालने से हमारा अपना लाभ होता है व वातावरण भी साफ रहता है।